Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने अमर सिंह सेहरिया बनाम एमपी राज्य मामले में आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान अदालत ने 16 वर्षीय लड़की का पीछा करने और उसे आत्महत्या के लिए उकसाने के लिए याचिकाकर्ता को जमकर फटकार लगाई। मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति आनंद पाठक की सिंगल बेंच ने लड़की का पीछा और उसपर निगरानी करने के बारे में कड़ी टिप्पणी की।
कोर्ट ने कहा कि यह कृत्य समाज में एक बुरा संदेश देता है। कोर्ट ने कहा कि कुछ लोग लड़कियों को परेशान करने का ट्रॉफी जीतने जैसा मानते हैं। अदालत ने कहा कि कुछ अपराध अपराधी को मानसिक सुख देते हैं और कुछ अपराध आर्थिक लाभ देते हैं। लेकिन यहां मामला मानसिक सुख और दुखदायी सुख प्राप्त करने का है। जहां आरोपी ने मृतक का पीछा किया।
कोर्ट ने कहा कि किसी भी महिला का पीछा करना, ताक-झांक करना न केवल उसके लिए गहरी शर्मिंदगी का विषय है, बल्कि उसके उत्पीड़न का भी कारण बनता है। इसके अलावा उसमें असुरक्षा की भावना भी पैदा करता है। इससे उसके आत्मसम्मान को भी ठेस पहुंचती है। समाज में जहां इस तरह के अपराध होते हैं, वहां अपराधी इस तरह के अपने कार्यों को ट्रॉफी जीतने के रूप में मानते हैं।
अदालत ने कहा कि ऐसे कार्यों से अपराधी समाज को यह दिखाने की कोशिश करते हैं कि वे अपने अपराध को अच्छी तरह से अंजाम दे सकते हैं। आत्मविश्वास कमजोर होने के नाते कई बार पीड़ित अपराधी के सामने खुद का आत्मसमर्पण कर देता है। यह समाज में गलत संदेश जैसा है।
बता दें कि पीड़िता के वकील ने दलील दी कि 16 वर्षीय लड़की को आरोपी पसंद करता था और वह जहां भी जाती थी उसका पीछा करता था। ऐसा करने से आरोपी को मना भी किया गया लेकिन वह नहीं माना। लगातार पीछा करने से मजबूर होकर लड़की के माता-पिता ने उसे उसके नाना-नानी के घर भेज दिया। इसके बाद भी आरोपी नहीं माना और वह लड़की के नाना-नानी के भी घर पहुंच गया।
वहां उसने पीड़िता के बारे में गांव में पूछताछ की। इससे पीड़िता काफी शर्मसार हुई। इसके चलते लड़की ने आत्महत्या कर ली। वहीं आरोपी पर आईपीसी की धारा 306 के तहत दंडनीय अपराध का आरोप लगाया गया और बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया गया था।
वहीं अपने तीसरी जमानत याचिका पर आरोपी ने बताया कि वह मृतक लड़की से प्यार करता था, इसलिए उसका पीछा करता था। लेकिन उसका किसी उसे परेशान करने या शर्मिंदा करने का नहीं था। सुनवाई के बाद अदालत ने याचिकाकर्ता की याचिका खारिज कर दी।