Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के छतरपुर (Chhatarpur) की एक अदालत ने एक अतिथि शिक्षक (Guest Faculty) से 2,000 रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में एक स्कूल के प्रधानाध्यापक को पांच साल की जेल की सजा सुनाई है। विशेष लोक अभियोजक के के गौतम ने बताया कि विशेष अदालत के न्यायाधीश सुधाशु सिन्हा ने शनिवार को चंद्रभान सेन को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत दोषी ठहराया और उस पर 30,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
जिला मुख्यालय से लगभग 65 किलोमीटर दूर सूरजपुर कलां के एक सरकारी विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक चंद्रभान सेन ने अतिथि शिक्षक लक्ष्मीकांत शर्मा से काम पर आने की अनुमति देने के लिए 2,000 रुपये की रिश्वत ली थी।
लक्ष्मीकांत शर्मा ने कराई शिकायत दर्ज
लक्ष्मीकांत शर्मा ने 6 जनवरी, 2015 को सागर लोकायुक्त पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। विशेष लोक अभियोजक के के गौतम ने कहा कि भ्रष्टाचार में लोक सेवकों का लिप्त होना एक बहुत बड़ी समस्या है जो समाज को नष्ट कर रही है। भ्रष्टाचार लोकतंत्र और कानून के शासन की नींव को हिला रहा है।
न्यायाधीश सिन्हा ने अपने आदेश में कहा कि ऐसे आरोपियों के प्रति नरमी बरतना कानून के विपरीत है और कड़ा रुख अपनाना समय की मांग है। अदालत में अपनी दलील में के के गौतम ने कड़ी सजा की मांग करते हुए कहा कि एक शिक्षक समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा और एक मार्गदर्शक होता है और यदि शिक्षक भ्रष्टाचार में लिप्त होता है तो यह समाज के लिए हानिकारक होगा।
30 हजार का जुर्माना भी लगाया
लक्ष्मीकांत शर्मा सूरजपुर कलां के एक सरकारी विद्यालय में बतौर गेस्ट टीचर अपनी सेवाएं दे रहे थे। चंद्रभान सेन ने पढ़ाने की अनुमति देने के एवज में उनसे 2000 रुपये की रिश्वत मांगी थी। उनके रिश्वत मांगने की बात पर लक्ष्मीकांत शर्मा ने 6 जनवरी, 2015 को सागर लोकायुक्त पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी। जिसके बाद विशेष अदालत के न्यायाधीश सुधाशु सिन्हा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए चंद्रभान सेन को पांच साल की कैद की सजा और तीस हजार का जुर्माना लगाया है।
