मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में जहरीले नागों की संख्या में काफी इजाफ़ा हो रहा है। साँपों की बढ़ती जनसँख्या अब चिंता का विषय बनी हुई है। जानकारी के अनुसार पन्ना टाइगर रिजर्व से हुए विस्थापिथों के कारण वहां बचे अवशेषों में इन्होंने अपना डेरा जमा रखा है। वहीं प्रजनन और अण्डों के सुरक्षित रहने के चलते इनकी संख्या में काफी इजाफ़ा हो रहा है।

टाइगर रिजर्व के हिनौता और से भी अधिक गाँवों मड़ला वन परिक्षेत्र में विस्थापित आधा दर्जन से ज्यादा ध्वस्त हो चुके घरोंदों में कोबरा नाग ज्यादा पनप रहे हैं। आस-पास के जंगलों में वृक्षों और झाड़ियों में भी अक्सर साँप दिख जाते हैं। जानकारों के अनुसार गर्मियों में यह कम दिखाई देते हैं। दरअसल ठंडक के लिये यह जमीन के अंदर बिलों में या छायादार जगहों पर या फिर अन्धकार में छिपे रहते हैं। तो वहीं सर्दियों में यह धूप सेंकने के लिये बिलों से ज्यादा तादाद में बाहर निकल आते हैं। इस दरमियान यहाँ पैदल ट्रेकिंग करने वाले वन्य कर्मियों को ज्यादा सतर्क और चौकन्ना रहना पड़ता है। इस दौरान इन्हें फुल शूज और सिक्योरिटी यूनिफार्म पहनने को कहा जाता है। गर्मी हो या सर्दी इन जवानों को अपडेट मानक यूनिफार्म में ही रहना होता है।

टाइगर रिजर्व के जानकार की मानें तो यहाँ कोबरा जाति का नाग अत्यधिक फुर्तीला और जहरीला होता है। इसके अपने विसदांतों से एक बार में छोड़े जाने वाले जहर में 10 लोगों को मारने की क्षमता होती है। इसके काटने से हांथी तक दम तोड़ देता है। इसके पूर्व भी हीरा नाम के हाथी की मौत कोबरा सांप के काटने से हुई थी। उनका कहना है कि साँपों में सिर्फ किंग कोबरा ही है जो क्रोधी और आक्रामक स्वभाव का होता है।

पन्ना टाईगर रिजर्व (फोटो: कीर्ति राजेश चौरसिया)
पन्ना टाईगर रिजर्व
(फोटो: कीर्ति राजेश चौरसिया)

यह कई बार बिना किसी के छेड़छाड़ के भी अचानक हमला कर देता है। क्रोधी स्वभाव होने के कारण इस पर किसी भी तरह का भरोसा नही किया जा सकता है। इसके साथ ही फ़न पर चश्माधारी नाग यहाँ भारी मात्रा में पाये जाते हैं। इन साँपों की संख्या में भारी इजाफ़ा होने के चलते दुर्लभ प्रजाति और अन्य वन्य प्राणियों की जान का खतरा भी बढ़ गया है। जो कि भारी चिंता का विषय है।