शहरी इलाकों से करीब-करीब गायब हो चुकी रंग बिरंगी तितलियों की मौजूदगी ने उत्तर प्रदेश के इटावा से जुड़ी चंबल घाटी के लोगों के मन में कौतुहल पैदा कर दिया। पर्यावरणीय दिशा में काम कर रही पर्यावरणीय संस्था सोसायटी फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर के महासचिव संजीव चौहान का कहना है कि चंबल घाटी में इस समय काफी संख्या में तितलियां नजर आ रही हैं। इटावा के प्रभागीय वन निदेशक सत्यपाल सिंह का कहना है कि शहरीकरण ने आम इंसान को भले ही लाभ दिया हो लेकिन तितली जैसे कीट का खासा नुकसान हो रहा है और लगातार एक के बाद एक गायब होती जा रही हैं। चंबल घाटी से जुड़े इटावा में बीहड़ के भ्रमण के दौरान करीब 20 से अधिक प्रजाति की अनगिनत तितलियां नजर आई हैं। इससे पहले इतनी ज्यादा संख्या में हाल के दिनों में कभी भी तितलियों को कहीं पर भी देखा नहीं गया है। इटावा में करीब 22 से अधिक प्रजाति की तितलियां देखी जा रही हैं जिनमें प्लेन टाइगर, स्ट्रिट टाइगर, ब्लू टाइगर, कामन क्रो, पेपीलियो और बुसेफुटेड प्रमुख हैं।

तितलियों की आंखें होती हैं इसलिए वे देख तो सकती हैं लेकिन उनकी यह क्षमता सीमित होती है। इनकी आंखें बड़ी और गोलाकार होती हैं। इनमें हजारों सेंसर होते हैं जो अलग-अलग कोण में लगे रहते हैं। इसका मतलब ये हुआ कि तितलियां ऊपर, नीचे, आगे, पीछे, दाएं, बाएं सभी दिशाओं में एक साथ देख सकती हैं। लेकिन इसका यह नुकसान भी होता है कि वे किसी चीज पर अपनी दृष्टि एकाग्र नहीं कर पातीं और उन्हे धुंधला सा दिखाई देता है। तितलियों की दृष्टि बड़ी सीमित होती है और वे केवल रोशनी, रंग और गति देख पाती हैं।

इसका मतलब ये हुआ कि वे रात और दिन में अंतर कर पाती हैं, कुछ रंग पहचान पाती हैं और किसी भी प्रकार की गति को भांप जाती हैं। इसीलिए जब कोई उन्हें पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाता है तो उन्हें फौरन पता चल जाता है और वे उड़ जाती हैं। कुछ तितलियां अपने जीवन काल में सिर्फ एक बार ही प्रजनन की प्रकिया से गुजरती हैं।