हिंसा की आग में झुलस रहे मणिपुर के हालात सामान्य होते नहीं दिखाई दे रहे हैं। लंबे वक्त बाद जब कर्फ़्यू में ढील दी गयी तो लगा था कि हिंसा अब समाप्त हो जाएगी लेकिन अब सरकार ने हिंसा की ताजा खबरों का हवाला देते हुए इंटरनेट सेवाओं पर लगे बैन को पांच दिनों के लिए बढ़ा दिया हैं। अब मणिपुर में इंटरनेट सेवाएं 15 जून तक बाधित रहेंगी। 

गृह विभाग द्वारा जारी एक ताज़ा आदेश में कहा गया है कि इंटरनेट प्रतिबंध 15 जून को दोपहर 3 बजे तक प्रभावी रहेगा। राज्य में हिंसा भड़कने के बाद 3 मई को मोबाइल इंटरनेट सेवाओं और अगले दिन ब्रॉडबैंड सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। तब से इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है। 

हालांकि ज़्यादातर जिलों में खासतौर पर इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम में कर्फ्यू में लंबी वक्त के लिए ढील दी गई थी। इंफाल में सुबह पांच बजे से रात आठ बजे तक पाबंदियों में ढील दी गई है। पहले के एक आदेश में कहा गया था कि कर्फ्यू में सुबह पांच बजे से शाम छह बजे तक ढील दी जाएगी।

अब कैसे हैं हालात? 

राज्य सरकार की ओर से दावा किया गया है कि  राज्य में पिछले 24 घंटों में कोई इस तरह की घटना नहीं हुई है। सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा, “हिंसा पर रोक लगाने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की 114 कंपनियों को कई स्थानों पर तैनात किया गया है और संवेदनशील इलाकों में तलाशी अभियान जारी है”। उन्होंने बताया कि अब तक 990 हथियार और 13,000 राउंड गोला बारूद बरामद किया जा चुका है। मणिपुर में एक महीने पहले भड़की जातीय हिंसा में कम से कम 100 लोगों की जान चली गई है और 310 अन्य घायल हो गए हैं। 

क्यों भड़क रही है हिंसा?

बुधवार (3 मई) को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (ATSUM) ने मार्च का ऐलान किया था। यह मार्च मैतेई समुदाय को एसटी श्रेणी में शामिल करने की लंबे समय से चली आ रही मांग के विरोध में था। जिसे पिछले महीने मणिपुर उच्च न्यायालय के एक आदेश से बढ़ावा मिला था।

मणिपुर उच्च न्यायालय एकल न्यायाधीश द्वारा पारित मांग और आदेश दोनों का राज्य के आदिवासी समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले समूहों द्वारा कड़ा विरोध किया गया है। 14 अप्रैल को जारी अदालत के आदेश में सरकार से मांग पर विचार करने को कहा गया है। इसके बाद कई आदिवासी समूह इसके खिलाफ आ खड़े हुए हैं और हिंसा भड़क गयी है।