Gujarat Morbi Election Results 2022, Kantilal Amrutiya vs Jayantilal Jerajbhai Patel Election Result 2022: गुजरात की मोरबी सीट (Morabi Seat) पर बीजेपी उम्मीदवार कांतिलाल शिवलाल अमृतिया (Kantilal Amrutiya) ने भारी मतों से जीत हासिल की है। उन्होंने अक्टूबर में मोरबी पुल ढहने के दौरान कई लोगों की जान बचाई थी। वहीं, दूसरे नंबर पर कांग्रेस उम्मीदवार जयंती पटेल हैं, जिन्हें अभी तक 52121 वोट मिले हैं।

गुजरात विधानसभा चुनाव में मोरबी सीट (Morbi Assembly Election) की खासी अहमियत रही। हाल ही में पुल टूटने के बाद हुए हादसे में यहां तकरीबन 140 लोगों की जान चली गई थी। बीजेपी ने मौजूदा विधायक का ट‍िकट काट कर उन कांतिलाल अमृतिया (Kantilal Amrutiya) को मैदान में उतारा, जो डूबते लोगों को बचाने के लिए नदी में कूदे थे।

इस सीट से भाजपा का प्रतिनिधित्व बृजेश मेरजा कर रहे थे। वो गुजरात सरकार में मंत्री भी थे। ये मोरबी हादसे का ही असर है कि उनका टिकट काटकर यहां से पूर्व विधायक कांतिलाल अमृतिया को मैदान में उतारा गया। कांग्रेस ने यहां से जयंतिलाल जेराजभाई पटेल (Jayantilal Jerajbhai Patel) और आप ने पंकज कांतिलाल राणसरिया (PANKAJ KANTILAL RANSARIYA) को मैदान में उतारा था।

मोरबी: पेरिस ऑफ सौराष्ट्र

2017 के चुनाव में बृजेश मेरजा ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी, लेकिन बाद में वो भाजपा में चले गए। 2020 में हुए उपचुनाव में बीजेपी ने उन्हें टिकट दिया और मेरजा जीते भी।

मोरबी को पेरिस ऑफ सौराष्ट्र भी कहा जाता है। तकरीबन 5 लाख लोगों को रोजगार देने वाला ये जिला घड़ियों की कारसाजी के लिए जाना जाता है। कभी यहां जडेजा वंश की हुकूमत थी।

मोरबी का समीकरण

कच्‍छ लोकसभा के तहत आने वाली मोरबी विधानसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 2,86,686 है। इनमें से 1,48,695 पुरुष और 1,37,988 महिला मतदाता है। मोरबी असेंबली सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है। 1980 से 2020 तक हुए 10 चुनावों में से आठ में भाजपा ने जीत हासिल की है। कांग्रेस केवल 1980 और 2017 का चुनाव ही जीत पाई है।

मेरजा के बीजेपी का दामन थामने के बाद 2020 में हुए उप-चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट को गंवा द‍िया था। भाजपा का गढ़ माने जाने वाले इस सीट पर आप की एंट्री से मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार थे।

मोरबी हादसे के बाद अरविंद केजरीवाल इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर बीजेपी को घेरने की कोशिश की थी। जिसके बाद भाजपा ने अमृतिया पर दांव खेला था। अमृतिया यहां से पांच बार विधायक रह चुके हैं। वो बीजेपी के खाटी नेता माने जाते हैं।

उन्हें कानाभाई के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन पाटीदार आंदोलन के समय जब हार्दिक पटेल ने बिगुल फूंका तो अमृतिया सबसे ज्यादा निशाने पर आए। मोरबी को पाटीदार बाहुल्य माना जाता है। इस चुनाव में पाटीदार आनंदोलन भाजपा के लिए अड़चन नहीं बना क्योंकि हार्दिक खुद बीजेपी का दामन थाम चुके थे।