Morbi Bridge Collapse: रविवार को मोरबी में मच्छू नदी पर गिरे पुल की जांच कर रहे एसपी पीए ज़ाला ने मंगलवार को स्थानीय अदालत में बताया कि सस्पेंशन ब्रिज के केबल में जंग लग गई थी। अगर इसकी मरम्मत की गई होती तो ये हादसा नहीं हुआ होता। इस हादसे में 135 लोग मारे गए थे। मोरबी पुल ढहने के मामले में गिरफ्तार नौ में से चार आरोपियों को कोर्ट ने चार दिन की पुलिस रिमांड में भेजा।
गिरफ्तार किए गए नौ में से चार की 10 दिन की रिमांड की मांग करते हुए, डीएसपी जाला ने अदालत कक्ष में मौखिक प्रस्तुतीकरण में कहा, “अनुमेय क्षमता निर्धारित किए बिना, सरकार की मंजूरी के बिना, पुल को 26 अक्टूबर को खोला गया था। इस दौरान कोई जीवन रक्षक उपकरण या लाइफगार्ड की तैनाती नहीं की गई थी। रखरखाव और मरम्मत के नाम पर सिर्फ एक प्लेटफॉर्म (डेक) को बदला गया था। गांधीनगर से आई एक टीम ने एफएसएल (फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी) की रिपोर्ट के अनुसार इस पुल पर कोई अन्य काम नहीं किया गया था।”
केबल की ग्रीसिंग नहीं की गई थी जहां टूटी वहां जंग लगा था
जाला ने आगे बताया, “पुल एक केबल पर था, और केबल का कोई तेल या ग्रीसिंग नहीं किया गया था। जहां से केबल टूटी वहां केबल में जंग लग गया था। अगर केबल की मरम्मत की जाती तो यह घटना नहीं होती। कैसे और क्या काम इस पुल पर किया गया, इसका कोई दस्तावेज नहीं है। न ही इस मरम्मत किए गए पुल के लिए किसी सामान की खरीद/उपयोग की गई सामग्री की गुणवत्ता की जांच की गई थी, इन सब की जांच की अभी की जानी है।”
मरम्मत का काम योग्य लोगों से नहीं करवाया गया
सरकारी वकील एचएस पांचाल ने बाद में द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया कि अब तक की जांच से पता चला है कि ठेकेदारों ने ऐसे लोगों से काम करवाया है जो योग्य इंजीनियर नहीं थे। पांचाल ने आगे कहा, “जांच से इस बात के संकेत मिलते है कि पुल पर एल्यूमीनियम के तख्तों की वजह से पुल ढह गया होगा।”
यह दैवीय एक दैवीय घटनाः दीपक पारेख
पारेख ने कहा, “कंपनी के प्रबंध निदेशक से लेकर निचले स्तर के कर्मचारियों तक सभी ने बहुत मेहनत की, लेकिन यह भगवान (भगवान नी इच्छा) की इच्छा थी कि ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई।” रावल ने प्रस्तुत किया कि ठेकेदार केवल वेल्डिंग, इलेक्ट्रिक फिटिंग आदि जैसे काम के कामों को संभालने के लिए जिम्मेदार थे और उन्होंने इसे प्राप्त माल के आधार पर किया।
बार एसोसिएशन ने किसी भी आरोपी का केस लेने से इनकार किया
अभियोजन पक्ष ने गिरफ्तार टिकट क्लर्कों और सुरक्षा गार्डों की भूमिका को भीड़ को नियंत्रित करने में विफल रहने के तौर पर सीमित करते हुए उनके रिमांड की मांग नहीं की। उनका कहना था कि वो प्रशिक्षित कर्मी नहीं थे। जबकि अभियोजन पक्ष ने कहा कि ओरेवा के दो प्रबंधक पुल की मरम्मत और रखरखाव से संबंधित अनुबंध की देखभाल करने के प्रभारी थे और वे रेनोवेशन के काम में भी शामिल थे। इस बीच, मोरबी बार एसोसिएशन ने मंगलवार को एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया, जिसमें अपने सदस्य वकीलों को घटना से जुड़े किसी भी आरोपी का प्रतिनिधित्व करने से इनकार कर दिया।