केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री चिराग पासवान आगामी बिहार चुनाव को लेकर पूरे तरीके से लगे हुए हैं। वो कई मौकों पर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की आलोचना भी कर चुके हैं। हाल में भी चिराग ने बिहार की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए नीतीश सरकार को एक बार फिर असहज कर दिया। वहीं विपक्ष इस मौके को बिहार एनडीए की फूट और नीतीश सरकार पर प्रशासन का प्रभाव ज्यादा बता रहा है। राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस ने एक सुर में कहा है कि एनडीए के घटक लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान केवल उनके दावों को मजबूत कर रहे हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य प्रशासन पर नियंत्रण नहीं रख रहे हैं।
चिराग ने शनिवार को गया में राज्य की खराब कानून-व्यवस्था पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसी सरकार का समर्थन करने पर दुख हो रहा है जिसके शासन में अपराध पर लगाम नहीं लग पा रहा है। उन्होंने कहा, ‘बिहार में आपराधिक घटनाओं की एक श्रृंखला देखी गई है और प्रशासन अपराधियों के सामने नतमस्तक दिख रहा है, गिरफ्तारियां हुई हैं लेकिन ऐसी घटनाएं फिर क्यों होती हैं? अगर ऐसी घटनाएं होती रहीं, तो राज्य में भयावह स्थिति पैदा हो जाएगी।’
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लोजपा (रा) प्रमुख ने कहा कि भले ही ये घटनाएं चुनावी मौसम में सरकार को बदनाम करने के लिए हो रही हों, लेकिन इन्हें रोकना प्रशासन की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, ‘या तो प्रशासन अपराधियों से मिला हुआ है या फिर अपराधों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है या फिर पूरी तरह से अक्षम हो गया है।’ चिराग का तीखा हमला इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों में अपना दबदबा बनाने और गठबंधन में पार्टी की अधिक संख्या में सीटें हासिल करने से कहीं ज्यादा है।
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वहीं पार्टी के एक नेता ने कहा कि यह प्रक्रिया एक राजनीतिक दल के रूप में खुद को स्थापित करने के बारे में है, जिसे कार्यकर्ताओं को जवाबदेह होना पड़ता है। वह पार्टी के मतदाता आधार को लगभग 15% तक बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि हमारी पार्टी राज्य की राजनीति के तहत जनता के लिए हितधारक बन सके। हमें पासवान समुदाय (5.3%) का भारी समर्थन प्राप्त है, जबकि हमें रविदास समुदाय (5.2%) से भी अच्छी-खासी संख्या में वोट मिल सकते हैं, और मुसहर और भुइयां मतदाताओं से लगभग 3% वोट मिल सकते हैं। हम भूमिहार समुदाय के उच्च-जाति मतदाताओं को एकजुट करने पर भी काम कर रहे हैं।
पार्टी के बिहार प्रभारी और जमुई से सांसद अरुण भारती ने इसको लेकर कहा कि आलोचना को रचनात्मक आलोचना करके गठबंधन में सहयोगी की भूमिका निभाने के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि राज्य प्रशासन पर हमले” के रूप में। भारती ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि अपराध बढ़ना किसी एक पार्टी या व्यक्ति के लिए चिंता का विषय ही नहीं बल्कि पूरे राज्य के लिए पीड़ा और चिंता की बात है। उन्होंने कहा, “नीतीश सरकार का मूल कर्तव्य जनता के मुद्दों को प्राथमिकता देना और उनके समाधान के लिए ठोस कदम उठाना है। अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस न केवल गठबंधन के साझा न्यूनतम कार्यक्रम का हिस्सा है, बल्कि जनता से किया गया वादा भी है। अगर चिराग सरकार को इसकी याद दिला रहे हैं, तो यह गठबंधन की नैतिकता के विरुद्ध नहीं, बल्कि उसका पालन है।