मिजोरम की एक अदालत ने सोमवार (25 जुलाई, 2022) को कांग्रेस के पूर्व मंत्री और राज्य में भारतीय जनता पार्टी के एकमात्र विधायक डॉ. बुद्ध धन चकमा और 12 अन्य चकमा नेताओं को गबन के आरोप में एक साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। 2013 और 2018 के बीच दक्षिण मिजोरम के लवंगतलाई जिले में चकमा स्वायत्त जिला परिषद (सीएडीसी) में 130 लाख रुपए से अधिक का फंड में गबन का आरोप है। हालांकि, 13 नेताओं को उसी दिन जमानत पर रिहा कर दिया गया था।
कांग्रेस 2013 में सीएडीसी में सत्ता में थी, जिसमें मुख्य कार्यकारी सदस्य (सीईएम) के रूप में डॉ. बुद्ध धन चकमा थे। चकमा को बाद में कांग्रेस के टिकट पर विधायक के रूप में चुना गया। अपने इस्तीफे के तुरंत बाद वह भाजपा में शामिल हो गए और 2018 में पिछले विधानसभा चुनावों में वो भाजपा के एक मात्र विधायक के रूप में चुने गए।
22 जुलाई को अदालत ने 13 चकमा नेताओं को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13 (1) (डी) के साथ 13 (2) के तहत उनकी आधिकारिक शक्तियों का दुरुपयोग करने और विशेष सहायता कोष से 137.10 लाख रुपए वापस लेने के लिए दोषी ठहराया। अदालत ने सोमवार को दोषियों के खिलाफ सजा की घोषणा की।
बुद्ध धन चकमा के अलावा दोषियों में सीएडीसी के मौजूदा मुख्य कार्यकारी सदस्य (सीईएम), बुद्ध लीला चकमा, दो कार्यकारी सदस्य (ईएम), सीएडीसी के दो मौजूदा सदस्य (एमडीसी) और परिषद के 3 पूर्व सीईएम शामिल हैं। शेष चार सीएडीसी के पूर्व ईएम हैं। अपराध करने के समय सभी दोषी सीएडीसी के सदस्य थे।
विशेष न्यायाधीश वनलालनमाविया द्वारा सुनाए गए सजा आदेश के अनुसार, 13 दोषियों के खिलाफ 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था, इसके अलावा 1 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी। आदेश में कहा गया है कि जुर्माना भरने में विफल रहने पर उन्हें और 30 दिनों के लिए साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी। विशेष न्यायाधीश की अदालत ने दोषियों के वकील की याचिका के बाद भी दोषियों को जमानत पर रिहा कर दिया।
इससे पहले बुद्ध धन चकमा ने संवाददाताओं से कहा कि वे इस फैसले को गुवाहाटी उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे। 2017 में वर्तमान राज्य भाजपा अध्यक्ष वनलालहमुका जो उस समय पार्टी महासचिव थे। उन्होंने चकमा परिषद में अनियमितताओं की शिकायत की और राज्य के राज्यपाल से इसे भंग करने के लिए कहा था। इसके बाद राज्यपाल ने लवंगतलाई जिले के तत्कालीन उपायुक्त डॉ ए मुथम्मा के एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया। आयोग ने राज्यपाल को अपनी रिपोर्ट सौंपने के बाद राज्य जिला परिषद और अल्पसंख्यक मामलों के एक अवर सचिव ने 2018 में राज्य भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के साथ पहली सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दायर की।
