मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने मंगलवार को आधिकारिक तौर पर मिजोरम को पूर्ण साक्षर राज्य घोषित किया। इस उपलब्धि के साथ मिजोरम देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जिसने पूर्ण साक्षरता हासिल की है। मुख्यमंत्री ने यह घोषणा राज्य की राजधानी आइजोल में आयोजित एक विशेष समारोह के दौरान की। इस दौरान केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी भी मौजूद रहे।

21,081 वर्ग किमी के भौगोलिक क्षेत्र में फैले मिजोरम को 20 फरवरी, 1987 को राज्य का दर्जा मिला था। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार मिजोरम की साक्षरता दर 91.33 फीसदी थी। उस समय पूर्वोत्तर का यह राज्य साक्षरता के मामले में देश में तीसरे स्थान पर था। मिजोरम सरकार ने इस मजबूत नींव पर निर्माण करते हुए और शेष गैर-साक्षर व्यक्तियों की पहचान करने और उन्हें शिक्षित करने के लिए उल्लास-नव भारत साक्षरता कार्यक्रम को लागू किया।

मिजोरम की साक्षरता दर 98.20 फीसदी

अगस्त-सितंबर 2023 में पूरे राज्य में ‘क्लस्टर रिसोर्स सेंटर को-आर्डिनेटर’ (CRCC) द्वारा किए गए घर-घर सर्वे में 3,026 गैर-साक्षर लोगों की पहचान की गई। इनमें से 1,692 शिक्षार्थी शिक्षण-अधिगम गतिविधियों में सक्रिय थे। इस हिसाब से मिजोरम ने पूर्ण साक्षरता का आंकड़ा पार कर लिया है। केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा परिभाषित 95 फीसदी से अधिक साक्षरता दर को पूर्ण साक्षरता के बराबर माना जाता है। पीएफएलएस सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार भी मिजोरम की साक्षरता दर 98.20 फीसदी है।

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मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने कहा, “आज हमारे राज्य की यात्रा में एक ऐतिहासिक क्षण है जिसे आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी। हम इस दिन को एक अभियान के अंत के रूप में नहीं बल्कि अवसर, सशक्तिकरण और समावेश के एक नए युग की शुरुआत के रूप में मनाते हैं। हम निरंतर शिक्षा, डिजिटल रीच और व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से साक्षरता को बनाए रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। “

मिजोरम ने ऐसे हासिल की पूर्ण साक्षरता

मुख्यमंत्री कार्यालय से एक बयान में कहा गया, “मिशन का समर्थन करने के लिए, एससीईआरटी के तहत राज्य साक्षरता केंद्र (SCL) की स्थापना की गई। इसने लॉन्ग्टलाई जिले के शिक्षार्थियों के लिए अंग्रेजी के साथ-साथ वर्तियन नामक मिज़ो भाषा सीखने का कंटेंट डेवलप किया। जिला परियोजना कार्यालयों ने स्कूलों, सामुदायिक हॉल, वाईएमए पुस्तकालयों और यहां तक ​​कि जरूरत पड़ने पर शिक्षार्थियों के घरों में नियमित कक्षाएं संचालित करने के लिए 292 स्वयंसेवी शिक्षकों की भर्ती की।” पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स