भीमा-कोरेगांव हिंसा के मामले में पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी का बहुत से लोगों द्वारा विरोध किया जा रहा है। इस मामले में महाराष्ट्र सरकार को नेशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन (एनएचआरसी) की तरफ से भी नोटिस जारी किया है। वहीं कई वकीलों, शिक्षाविदों और लेखकों ने इन गिरफ्तारियों का विरोध किया है और अपना गुस्सा जाहिर किया है। पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को लेकर लोगों द्वारा विरोध किए जाने के मामले में महाराष्ट्र सरकार की तरफ से सफाई दी गई है। महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि पुलिस बिना किसी सबूत के कोई भी कार्रवाई नहीं करती है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के मंत्री दीपक केसरकर का कहना है कि जब तक पुलिस के पास सबूत नहीं होते हैं, वह एक्शन नहीं लेती है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक केसरकर ने कहा, ‘बिना सबूत के पुलिस कोई एक्शन नहीं लेती है, और जब सबूत होता है तो कोर्ट पुलिस को कस्टडी देता है। सरकार के पास सबूत है और दूसरा नक्सलवाद को कैसे सपोर्ट कर सकते हैं। ये लोग खुद की सरकार फॉलो करते हैं, क्या ये लोकतंत्र के लिए सही है?’
Unless police have proof it doesn't take action,when there is proof Court gives police custody. Clear that govt has evidence&secondly how can they support Naxalism.These people follow their own govt, is it good for democracy?: Deepak Kesarkar,MoS Home, Maharashtra #BhimaKoregaon pic.twitter.com/lKZ1Fwf0Ko
— ANI (@ANI) August 29, 2018
बता दें कि पुणे के निकट कोरेगांव-भीमा गांव में पिछले साल 31 दिसंबर को आयोजित एलगार परिषद के बाद दलितों और सवर्ण जाति के पेशवाओं के बीच हिंसा की घटनाओं के सिलसिले में चल रही जांच के दौरान 28 अगस्त को पुलिस ने देश के कई हिस्सों में छापे मारे और पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं व कथित नक्सल समर्थकों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने मुंबई, पुणे, गोवा, दिल्ली, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और हरियाणा में 10 जगहों पर छापे मारे।
इनमें वामपंथी विचारक वरवर राव समेत वेर्नोन गोंजाल्वेज, अरुण परेरा, सुधा भारद्वाज और गौतम नौलखा को गिरफ्तार किया गया है। इतिहासकार रोमिला थापर समेत कुछ अन्य लोगों ने रिहाई की मांग की है और अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। कोर्ट इस मामले में बुधवार (29 अगस्त) को सुनवाई करने जा रहा है। विरोध करने वाले लोगों ने इस मामले की निष्पक्ष जांच करने की मांग की है।