मेघालय में कोयले की खदान में पिछले 16 दिनों से बाढ़ की वजह से फंसे 15 श्रमिकों को निकाले जाने का आभियान जारी है। इस अभियान में एनडीआरएफ की टीम को खनिकों के 3 हेलमेट मिले हैं। इस मामले के बारे में जानकारी देते हुए एनडीआरएफ ने बताया कि फिलहाल मेघालय की खदान से तीन हेलमेट मिले हैं। वहीं एनडीआरएफ ने मीडिया की उन खबरों को भी गलत बताया जिसमें कहा गया था कि खदान में फंसने से मजदूरों की मौत हुई है।

नौसेना के गोताखोरों का दल पहुंचा: बता दें कि ओडिशा से 21 लोगों की टीम मेघालय पहुंची चुकी है। जो आज (शनिवार) सुबह से ही एनडीआरएफ की टीम के साथ काम कर रहा है। वहीं जानकारी के मुताबिक पंप निर्माता कंपनी किर्लोस्कर बदर्स लिमिटेड और कोल इंडिया ने शुक्रवार को संयुक्त रूप से मेघालय हादसे में मदद के लिये 18 हाई पावर पंप रवाना किए थे। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि वायुसेना ने भुवनेश्वर से विमान के जरिये 10 पंप पहुंचाए हैं।

क्या है मामला: दरअसल 13 दिसंबर को मेघायल के पूर्वी जयंलिया हिल्स जिले में एक अवैध कोयला खदान में पानी भर गया था। जिसमें 15 लोग अभी भी फंसे हैं। अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि जैसे ही इस घटना की जानकारी मिली तो तुरंत उसके बाद वहां एक पंप लगाया गया। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के सदस्यों के साथ राज्य आपदा मोचन बल भी घटनास्थल पर मौजूद हैं। गौरतलब है कि पास की लैटीन नदी का पानी सान गांव में मौजूद खदान में 13 दिसंबर को प्रवेश कर गया था।

320 फुट गहरी है खदान: पुलिस उपमहानिरीक्षक (पूर्वी क्षेत्र) एक आर माथोह ने कहा कि हम खदान से पानी बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं जो कि करीब 320 फीट गहरी है। एनडीआरएफ के मुताबिक पानी का स्तर 70 फुट है। वहीं पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले के पुलिस अधीक्षक सेल्वेस्टर नोंगतिंगर ने कहा कि पानी का स्तर नीचे नहीं गया है। इसके साथ ही दो और पंप बचाव में लगाए गए हैं। इसके साथ ही गोताखोर फंसे हुए खनिकों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।

 

असुरक्षित खदानों पर लगी है रोक: राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने मेघालय में 2014 से अवैज्ञानिक और असुरक्षित कोयला खदानों पर प्रतिबंध लगाया रखा है। पुलिस ने खदान का संचालन करने वाले जेम्स सुखलैन के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। फिलहाल वह अभी फरार चल रहा है।