मेघालय के राज्यपाल वी षण्मुगनाथन ने अपना पद छोड़ने का फैसला कर लिया है। दरअसल, शिलांग राजभवन के 80 कर्मचारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को खत लिखकर मेघालय के राज्यपाल वी षण्मुगनाथन को तुरंत प्रभाव से हटाने की मांग की थी। गुरुवार को इंडियन एक्सप्रेस ने खबर प्रकाशित की थी कि वी षण्मुगनाथन को हटाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रपति भवन को खत लिखा गया था। राज्यपाल ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को तो नकार दिया था लेकिन उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला कर लिया है। इसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार को जानकारी भी दे दी है। षण्मुगनाथन इस वक्त ईटानगर में हैं। उन्होंने अपने एक सहयोगी को शिलांग भेजा है। जो कि उनका निजी सामान लाकर मेघालय गवर्नर के दफ्तर को सील कर देगा।

क्या लिखा गया था पत्र में ? पांच पेज के इस खत में आरोप लगाया गया था कि राज्यपाल की गतिविधियों की वजह से राजभवन की मर्यादा और प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है। साथ ही यह भी बताया गया था कि इससे राजभवन के कर्मचारियों की भावनाओं को भी ठेस पहुंची है। पत्र में लिखा गया है कि राज भवन की गरिमा के साथ समझौता किया गया और उसे ‘यंग लेडीज क्लब’ में बदल दिया गया। आरोप था कि राज्यपाल सभी पुराने लोगों को हटाकर केवल युवा लड़कियों को वहां ला रहे हैं। एक लड़की ने उनपर किस करने का आरोप भी लगाया था।

पत्र में लिखा गया था कि दो पब्लिक रिलेशन ऑफिसर, एक कुक और एक नर्स को ‘नाइट ड्यूटी’ पर लगा रखा था। वे सभी लड़कियां थीं। इसपर सिविल सोसाइटी वुमन ऑर्गेनाइजेशन (CSWO) और थमा यू रंगली (TUR) नाम के सिविल सोसाइटी ग्रुप्स ने एक सिग्नेचर कैंपेन चलाया और हटाए जाने की मांग की।

तमिलनाडु से वरिष्ठ आरएसएस कार्यकर्ता 68 वर्षीय षण्मुगनाथन ने बतौर राज्यपाल 20 मई 2015 को कार्यभार संभाला था। जेपी राजखोवा को हटाए जाने के बाद उन्हें अरुणाचल प्रदेश का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया था। सितंबर 2015 से अगस्त 2016 तक उनके पास मणिपुर का अतिरिक्त चार्ज भी था। वह राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से भी जुड़े रहे हैं।