मथुरा के जवाहर बाग में सत्याग्रहियों के कब्जे के दौरान अंदर स्कूल में 300 बच्चे पढ़ते थे। जिस स्कूल में बच्चे पढ़ते थे वह कक्षा आठ तक थी। बच्चों को अंग्रेजी, हिंदी और इतिहास पढ़ाया जाता था। स्कूल का समय सुबह 6 से 10 बजे तक होता था। इस दौरान उन्हें कहा जाता था कि सतयुग आने वाला है। गुरुवार शाम को पुलिस से झगड़े के बाद से कई बच्चे माता-पिता से बिछड़ गए। इन्हें अलग-अलग जिलों के चाइल्ड केयर अस्पतालों में रखा गया है। मथुरा के चाइल्ड केयर में रखी गई बुलंदशहर की एक साल की लड़की ने बताया कि वह और उसकी मां दो महीने पहले जवाहर बाग आए थे। उसके पिता को स्वाधीन भारत सुभाष सेना के लिए सामान लाते हुए मथुरा पुलिस ने पकड़ लिया था।
बच्ची ने बताया, ”हम आराम से रहते थे। हमें गुरुजी कैंटीन में खाना मिलता था और मां घर पर कभी कभार ही खाना बनाती थी। हम सुबह छह बजे स्कूल जाते और वहां पर नाश्ते में खिचड़ी या तेल व नमक लगी चपाती दी जाती थी।” उसने बताया कि गुरुवार को झगड़े के दिन स्कूल नहीं लगी। उस दिन राम वृक्ष यादव ने लोगों को संबोधित किया। इससे बच्चों को दूर रखा गया लेकिन लड़की ने दावा किया कि उसने सुना, ”यदि उन्होंने हम पर हमला किया तो हम उचित जवाब देंगे।”
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राम वृक्ष यादव के बारे में उसने बताया कि वह कभी उससे मिली नहीं। उसने कहा, ”सभी कहते थे गुरुजी अच्छे व्यक्ति हैं इसलिए वे अच्छे होने चाहिए। मेरी मां ने एक बार कहा था कि सतयुग आने वाला है और गुरुजी हमारी मदद कर रहे हैं।” झगड़े के बाद से लड़की को अपनी मां के बारे में कोई खबर नहीं है।
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लड़की ने बताया कि उसने कई गुरुजी को मरीजों को दवा देते देखा था। दूसरे बच्चों ने बताया कि बड़े लोग जवाहर बाग के अंदर ही काम करते थे। उन्हें बाहर जाने की इजाजत नहीं थी। कुछ चौकीदार, कुछ कैंटीन तो कुछ आटा चक्की या किराने की दुकान चलाते थे। कानपुर देहात के एक 10 साल की लड़की ने बताया कि उसके माता-पिता कैंटीन में रोटियां बनाते थे। शाम को सात बजे डिनर होता था। डिनर में दूध, सब्जी, रोटी और चावल परोसा जाता था। अंबेडकर नगर के रहने वाले एक बच्चे ने बताया कि जो लोग छोड़ जाने की बात करते थे उनकी गुरुजी के सामने पेशी होती थी।
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