राजधानी के बाजारों में स्वदेशी और विदेशी राखियों में अपना-अपना बाजार जुटाने के लिए मुकाबला तेज हो रहा है। इस बार राखियों की बनावट और उनकी चमक-दमक में स्वदेशी राखियां चीन के माल से बनी राखियों से कहीं भी कम नहीं हैं। महिलाओं का रुझान भी लगातार स्वदेशी राखियों की ओर बढ़ रहा है। राजधानी के किनारी बाजार, सदर बाजार और खादी भवन में इन दिनों राखियों की जमकर बिक्री हो रही है। यहां पर राखियों की थोक और फुटकर दोनों तरह की बिक्री हो रही है। पुरानी दिल्ली का किनारी बाजार और सदर बाजार विदेशी और स्वदेशी राखियों से अटा पड़ा है।
दिल्ली के बाजारों में राखियां विदेशों में से चीन, और भारत में सूरत, कोलकाता से आ रही हैं। सूरत से दोनों तरह की स्वदेशी और विदेशी राखियां आई हैं। राजधानी के कनॉट प्लेस स्थित खादी भवन में पिछले एक हफ्ते से खादी से बनी राखियां इन दिनों जमकर बिक रही हैं। खादी के सामान से बनी राखियां फरीदाबाद से बनकर आई हैं। भारत में कई निर्माता चीन से स्टोन, वेलवेट, मोती और धागे आयात करते हैं और फिर उस विदेशी सामान से तरह-तरह की राखियां बनवाते हैं।
कई व्यापारी सीधे चीन से ही राखियां मंगवाते हैं। विदेशी राखियों में बाजार में डोरेमॉन, हैरी पॉटर, लॉरेल हार्डी और छोटा भीम के नाम से चर्चित राखियां भी बिक रही हैं। फैंसी राखियां सूरत और कोलकाता से बनकर आ रही हैं। उनमें भी जो सामग्री है, वह ज्यादातर चीन से आयातित है। सूरत, कोलकाता से राजधानी के बाजारों में बिक रही राखियों की कीमत दस रुपए से लेकर एक हजार रुपए तक की है। उसी तरह से चीन से आर्इं राखियों की भी कीमत 20 रुपए से लेकर तीन सौ रुपए तक की है। विदेशी सामान से बनी राखियों को राजधानी के बाजारों से ज्यादातर अन्य राज्यों के व्यापारी खरीद रहे हैं। किनारी बाजार में राखियों के थोक व्यापारी प्रेम राखी वाले के मालिक प्रदीप जैन के मुताबिक, दिल्ली में पिछले कुछ सालों से विदेशी राखियों की खरीदारों की कमी हो रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के ही कई व्यापारी विदेशी राखियों को पूरी तरह से भारतीय बताकर लोगों को बेच देते हैं।
फरीदाबाद का एक राठी परिवार कई साल से खादी की राखियां बना रहा है। उन राखियों को ज्यादातर खादी भवनों में बेचा जाता है। फरीदीबाद से खादी की राखियां लाकर खादी भवन में बेचने वाले शैलेंद्र गुप्ता के मुताबिक, पिछले दो-तीन साल में लोगों में खादी की राखियों की खरीदारी का चलन बढ़ा है। खादी की राखियां भी विदेशी राखियों से बनावट और चमकदमक में कहीं भी कम नहीं हैं। उन्होंने बताया कि इस बार वे खादी के सामान से बनी करीब 25 तरह की राखियां बेच रहे हैं। कल्चर पर्ल, सफेद नग, मोती और खादी के धागे से बनी राखी, क्रिस्टल मेटल और धागे से बनी राखी, सिल्वर प्लेटिंग और सूत के धागे से बनी राखी, रुद्राक्ष और सूत के धागे से बनी राखी, मोती जरकन और सूत के धागे से बनी राखी और मेटल जरकन से बनी राखियां इन दिनों धड़ल्ले से बिक रही हैं। खादी एंड विलेज इंडस्ट्रीज आयोग के प्रबंधक एके गर्ग ने बताया कि उन्हें उम्मीद है कि इस साल खादी की राखियों की रिकार्ड तोड़ बिक्री होगी।
