गांवों में खेतों की सरहदों को लेकर होने वाले विवाद से अब उत्तर प्रदेश मुक्त होने जा रहा है। कृषि विभाग ने राजस्व विभाग के साथ मिल कर प्रदेश के 91 हजार गांवों के नक्शों को पूरी तरह से आनलाइन कर दिया है। प्रदेश के 90 फीसद गांव अब इस जद में आ गए हैं। यह जानकारी प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने दी।

उत्तर प्रदेश के 21 जिलों में इस योजना को लागू किया गया है। इस बाबत प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही कहते हैं कि भदोही, संत कबीर नगर, औरैया, महोबा, हमीरपुर, सुल्तानपुर, वाराणसी, जौनपुर, प्रतापगढ़, मिर्जापुर, मुरादाबाद, जालौन, चित्रकूट, फर्रुखाबाद अयोध्या, चदौली, झांसी, बस्ती, हरदोई, देवरिया, गोरखपुर में इस योजना के तहत शत प्रतिशत नक्शों को आनलाइन कर दिया गया है। जबकि 54 जिलों की दस-दस ग्राम सभाओं के नक्शों को इस योजना के तहत अब तक आनलाइन किया गया है।

कृषि मंत्री ने बताया कि 2023 में उत्तर प्रदेश में ई खसरा पड़ताल के तहत एक करोड़ 15 लाख 89 हजार 645 सर्वेक्षणों को पूरा किया गया है। इस उपलब्धि की वजह से केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश का शुमार देश के अग्रणीय राज्यों में किया है। उन्होंने बताया कि 2023-24 में ई-खसरा पड़ताल प्रदेश के सभी जिलों में मोबाइल ऐप के माध्यम से किया जा रहा है। इससे किसानों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। प्रदेश के सभी 75 जिलों में 91 हजार 404 राजस्व गावों में यह किया जा रहा है। अब तक प्रदेश में एक करोड़ 71 लाख 50 हजार 89 सर्वेक्षणों की ई-खसरा पड़ताल किया जा चुका है।

इस योजना से किसानों को होने वाले लाभ का जिक्र करते हुए सूर्य प्रताप शाही कहते हैं कि इससे कितनी फसल कहां लगी है, इसकी सटीक जानकारी तो मिलेगी ही साथ ही राज्य में सकल घरेलू उत्पाद का सही आकलन भी मिलेगा। इसके अलापा बैंक फसली ऋण का सही आकलन कर सकेंगे। योजना से किसानों को बार-बार बिना सरकारी सत्यापन के योजनाओं का लाभ भी हासिल होगा।

न्यूनतम समर्थन मूल्य को तय करने में भी यह योजना बेहद कारगर साबित होगी। इतना ही नहीं, बारिश या अन्य किसी वजह से किसानों की फसलों को होने वाले नुकसान का सही आकलन करने में भी सरकार को खासी सहूलियत होगी। इससे बिना समय गंवाए किसानों को मुआवजा दिया जा सकेगा।

उन्होंने बताया कि जल्द ही पूरे प्रदेश के सभी गांवों को इस योजना से जोड़ दिया जाएगा। इससे किसानों को तहसीलों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी। वो घर बैठे अपने मोबाइल पर ही अपनी खसरा-खतौनी और फसलों की जानकारी ले सकेंगे। साथ ही किसानों को उनकी जमीन के स्वभाव के आधार पर कौन सी फसल बोनी है, इस बात की भी जानकारी दी जाएगी। इससे उन्हें अधिक लाभ मिल सकेगा।