नाट्य बैले सेंटर के प्रांगण में पिछले दिनों इनसाइड-आउटसाइड नृत्य समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह की खासियत थी कि प्रांगण में स्थापित मंच के अलावा, वहीं पर अलग-अलग जगहों में बने अस्थाई मंचोें पर कलाकारों ने नृत्य पेश किया। सेंटर का यह एक अच्छा प्रयास माना जा सकता है। कलाकारों ने भी पूरे उत्साह से इसमें भाग लिया। समारोह का आगाज, कथक नर्तक अनिरूद्ध दास की नृत्य रचना से हुआ। मंगलाचरण नृत्य ‘जगन्नाथ स्वामी नयन पथगामि’ व ‘गंगाधर जटाधर’ रचनाओं पर आधारित थी। यह राग दरबारी और एक ताली में निबद्ध थी। पहली पेशकश मंगलाचरण में विदिशा, मनीषा और भक्ति ने त्रिखंडी प्रणाम करते हुए, भगवान जगन्नाथ व भगवान शिव के रूप को भंगिमाओं व हस्तकों से दर्शाया।
वहीं, प्रस्तुति के अगले अंश में वरिष्ठ ओडिशी नृत्यांगना शिवानी वजीर ने शुद्ध नृत्य पल्लवी पेश किया। यह राग आरभि और एक ताली में निबद्ध था। उन्होंने नृत्य के क्रम में कई करणों-तोरणा, मुग्धा, मानिनी, दर्पणा, गुंथना, नर्तकी, नुपुरपादिका का मोहक प्रयोग किया। उन्होंने दुरुस्त पद संचालन, अंग संचालन, चौक और त्रिभंगियों से अपने नृत्य को आकर्षक बनाया।
छऊ नर्तक अशोक सिंह ने मयूर भंज शैली में नृत्य पेश किया। उनकी प्रस्तुति सामान्य स्तर की थी। समारोह में नृत्य रचना शिव पेश की गई। इसकी परिकल्पना कृष्ण वर्मा ने की थी। शिव के लास्य व तांडव को दर्शाना रोचक था। यह रावण रचित शिव तांडवस्त्रोत पर आधारित था। वहीं, भरतनाट्यम नर्तक सुहैल भान ने परंपरागत और प्रयोगात्मक भरतनाट्यम पेश किया। गुरु जस्टिन मैकार्थी और सुधा जगन्नाथ के शिष्य सुहैल ने तिल्लाना पेश किया। इसकी परिकल्पना कलाक्षेत्र की संस्थापिका रूक्मिणी अरूंडेल ने की थी। गायिका सुधा रघुरामन ने अपने मधुर स्वर में तिल्लाना को राग परस और आदि ताल में गाया था। इस पेशकश में सुहैल भान ने लयात्मक पद संचालन और अंग संचालन पेश किया। उनकी दूसरी प्रस्तुति सूफी रचना पर आधारित थी। इसमें अभिनय का सुंदर सुयोग था।
सेंटर के आहाते में खुले बरामदे में कलाकारों ने समकालीन नृत्य पेश किया। समारोह में समकालीन कलाकारों ने नृत्य रचना ‘फ्रीडम’ पेश की। इसकी परिकल्पना अजय भट्ट ने की थी। यह नरसिंह मेहता की रचना ‘वैष्णव जण तो’, रामप्रसाद बिस्मिल की रचना ‘सरफरोशी की तमन्ना’ और बंकिमचंद्र चटर्जी की रचना ‘वंदे मातरम’ पर आधारित थी। कलाकारों ने विषय के मुताबिक मोहक नृत्य पेश किया। इनके अलावा, संचिता शर्मा, मेघना भारद्वाज, अनीश पोपली और आंद्र हुक ने अपनी नृत्य प्रस्तुति से समारोह में चार चांद लगाया।
इस तरह के सफल प्रयास संगीत नाटक अकादमी में वर्षों से हो रहे हैं। नाट्य बैले सेंटर ने अच्छा प्रयास किया है। शायद, पहली बार इस तरह का प्रयोग किया गया इसलिए, दर्शकों की आवाजाही के बीच उनके बैठने की उचित व्यवस्था नहीं हो पाई, जिससे एक लिंक जो दर्शक और कलाकार के बीच बनता है, वह नहीं बन पाया। वैसे भी, समारोह का माहौल जरूरत से ज्यादा ही अनौपचारिक बन गया था। इससे कलाकारों को खुद को एकाग्र करने में दिक्कत का सामना करना पड़ा।