मणिपुर में चिंताजनक स्थिति के बीच गृह मंत्री अमित शाह के दौरे ने जमीन पर अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। रिपोर्ट्स आ रही हैं कि उनके एक दौरे के बाद 140 हथियार सरेंडर कर दिए गए हैं, जिन जिलों में सबसे ज्यादा तनाव माना जा रहा था, बातचीत के बाद वहां पर स्थिति सुधरी है। असल में गृह मंत्री चार दिन के मणिपुर दौरे पर गए थे, उन्होंने दोनों समुदाय के लोगों से बात की थी, पुलिस के साथ मीटिंग हुई थी।

उस समय अमित शाह ने कहा था कि शुक्रवार को हथियारों को लेकर पुलिस बड़े स्तर पर जांच शुरू करेगी, जिसके पास भी हथियार हो, वो उन्हें खुद आगे आकर सरेंडर कर दे। उस एक अपील के बाद ही 140 हथियार अभी तक पुलिस स्टेशन में सरेंडर कर दिए गए हैं। बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में ये आंकड़ा और ज्यादा बढ़ सकता है। बड़ी बात ये है कि इन हथियारों को शस्त्रागार से चुराया गया था, ऐसे में मामला ज्यादा बड़ा था और सेना की भी सीधा हस्तक्षेप रहे। लेकिन अब हथियारों को सरेंडर करने का सिलसिला शुरू हो गया है।

वैसे मणिपुर हिंसा की गंभीरता को समझते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग के गठन की बात कर दी है। इसके अलावा हिंसा में जिन भी लोगों की जान गई है, उनके परिवारों के लिए आर्थिक सहायता का भी ऐलान किया गया है। अब मणिपुर में जो हिंसा हुई है, उसका एक पुराना इतिहास चल रहा है।

असल में मणिपुर में तीन समुदाय सक्रिय हैं- इसमें दो पहाड़ों पर बसे हैं तो एक घाटी में रहता है। मैतेई हिंदू समुदाय है और 53 फीसदी के करीब है जो घाटी में रहता है। वहीं दो और समुदाय हैं- नागा और कुकी, ये दोनों ही आदिवासी समाज से आते हैं और पहाड़ों में बसे हुए हैं। अब मणिपुर का एक कानून है, जो कहता है कि मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में रह सकते हैं और उन्हें पहाड़ी क्षेत्र में जमीन खरीदने का कोई अधिकार नहीं होगा। ये समुदाय चाहता जरूर है कि इसे अनुसूचित जाति का दर्जा मिले, लेकिन अभी तक ऐसा हुआ नहीं है।

हाल ही में हाई कोर्ट ने एक टिप्पणी में कहा था कि राज्य सरकार को मैतेई समुदाय की इस मांग पर विचार करना चाहिए। उसके बाद से राज्य की सियासत में तनाव है और विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहा है। ऐसे ही एक आदिवासी मार्च के दौरान बवाल हो गया और देखते ही देखते हिंसा भड़क गई।