मध्य प्रदेश के अशोक नगर से एक जबरदस्त चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक व्यक्ति को सरकारी योजनाएं के लाभ हासिल करने के लिए ऑफिस-ऑफिस के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, वह भी इसलिए क्योंकि दस्तावेजों में उसे मृत घोषित किया जा चुका है। इसी के चलते पिछले दो महीनों में शिवकुमार अहिरवार नाम का यह व्यक्ति अधिकारियों के सामने जाकर बार-बार ‘मैं जिंदा हूं’ कहने के लिए मजबूर है।
बताया गया है कि शिवकुमार मजदूरी करता है। उसने 2018 में राज्य सरकार की मुख्यमंत्री जन कल्याण संबल योजना में नाम दर्ज कराया था। इसके जरिए सरकार असंगठित क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता देती है। लोगों को इस योजना के जरिए बच्चे पैदा होने पर, मृत्युपर, पीडीएस ड्रिस्टिब्यूशन में और स्वास्थ्य क्षेत्र में लाभ मिलते हैं।
शिवकुमार को भी 2018 में इस स्कीम में शामिल होने के बाद बेटा पैदा होने पर सरकार से 18 हजार रुपए मिले थे। लेकिन इस साल मार्च में ही बेटी पैदा होने के बाद जब वह ब्लॉक ऑफिस गया, तो सामने आया कि सरकारी दस्तावेजों में उसे मृत घोषित किया जा चुका है। शिवकुमार के मुताबिक, अधिकारी ने कहा कि सरकारी रिकॉर्ड में उसे 2019 में मृत घोषित कर दिया गया था। इसके बाद जब उसने वहां मौजूद लोगों को समझाने की कोशिश की कि वह अभी जिंदा है, तो किसी ने नहीं सुना। अधिकारियों ने कहा कि उसे यह गलती उच्चाधिकारियों से सही करानी चाहिए, इसी के बाद सरकारी योजना के लाभ उसे मिल सकेंगे।
पीड़ित शिवकुमार के मुताबिक, अधिकारियों से मिलने के बाद उसने गांव के सरपंच से अपने जिंदा होने की पुष्टि करने वाली एक चिट्ठी भी लिखवाई है। लेकिन इसके बाद से ही वह कलेक्टर ऑफिस के चक्कर काट रहा है। शिवकुमार के रजिस्ट्रेशन को खत्म करने से जुड़ी एक चिट्ठी में कहा गया है कि उसकी मृत्यु से जुड़ा एक आवेदन मार्च 2018 में पंचायत सचिव को मिला था। इसे मई 2018 में ग्राम योजना सहायक संतोष राव की ओर से मंजूरी मिल गई थी। बाद में अक्टूबर 2019 में इसे डेटा एंट्री क्लर्क गौरव लोधी की ओर से अपडेट किया गया था।
द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में शिवकुमार ने कहा कि पिछले साल संतोष राव उससे मिले थे। उन्होंने पूछा था कि क्या उसे मृत घोषित होने के बाद के लाभ उठाने हैं। उन्होंने कहा था कि मुझे मृत घोषित होने पर 2 लाख रुपए सरकार से मिलेंगे और इनमें से आधे वह खुद रख सकता है। शिवकुमार ने कहा कि उसने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया था।
इस मामले में एसडीएम देवेंद्र सिंह ने बताया कि अक्टूबर 2019 में जब लाभार्थी का फिजिकल वेरिफिकेशन किया जा रहा था, तब क्लर्क की एक गलती से शिवकुमार को मृत करार दे दिया गया। जब एसडीएम से राव के शिवकुमार को दिए प्रस्ताव के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया में यह प्रतीत नहीं होता कि क्लर्क या ग्राम योजना सहायक इस मामले में शामिल थे। हालांकि, इन आरोपों पर एक इंक्वायरी बिठाई जाएगी।
शनिवार को चंदेरी के जनपर अफसर ने डेटा एंट्री क्लर्क गौरव लोधी को कारण बताओ नोटिस जारी कर इस गड़बड़ी के लिए जवाब मांगा। अशोक नगर के कलेक्टर अभय वर्मा ने बताया कि इस गलती को सुधारा जा रहा है और अगले एक हफ्ते में इसे ठीक कर लिया जाएगा। शिवकुमार को मिलने वाले सारे फायदे उसे ठीक से ट्रांसफर किए जाएंगे।

