पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता को फुटबाल का मक्का कहा जाता है। इस मक्का में फुटबाल प्रेमी अर्जेंटीना के लियोनेल मेस्सी को अपना भगवान मानते हैं। लेकिन सोमवार सुबह यहां के फुटबालप्रेमियों के लिए बेहद दुखद खबर लेकर आई। उनके भगवान ने अंतरराष्ट्रीय फुटबाल से संन्यास ले लिया था। अपने भगवान के संन्यास से फुटबाल के इस मक्का के लोग बेहद सदमे में हैं। लोगों को अब तक यह भरोसा नहीं हो पा रहा है कि मेस्सी अब कभी अर्जेंटीना की जर्सी में नजर नहीं आएंगे। पांच साल पहले मेस्सी के महानगर के दौरे पर आने के समय तो लोगों में ऐसी दीवानगी छाई थी कि उसका बयान करना मुश्किल है। उससे मेस्सी भी अभिभूत हुए बिना नहीं रह सके थे।
फुटबाल के दीवाने इस शहर में लोग दुनिया की दो ही टीमों के दीवाने हैं। यहां लोग मूल रूप से ब्राजील और अर्जेंटीना के खेमों में बंटे रहते हैं। विश्वकप फुटबाल के दौरान पूरा महानगर इन दो खेमों में बंट जाता है। विश्वकप का आयोजन भले दुनिया के किसी भी देश में होता हो, कोलकाता के कुछ इलाके ब्राजील में बदल जाते हैं तो कुछ अर्जेंटीना में। उन दोनों देशों के झंडे, जर्सी, दीवारें भी उनके खिलाड़ियों की तस्वीरों से पटी हुर्इं। हद तो यह है कि उस दौरान यहां बनने वाली मिठाइयों में भी वही दोनों देश उभर आते हैं।
विश्वकप के दौरान बाजारों में ब्राजील और अर्जेंटीना की जर्सियों, फुटबाल खिलाड़ियों के पोस्टरों आदि की मांग अचानक बढ़ जाती है। इसी तरह दोनों टीमों के मशहूर खिलाड़ियों के कटआउट और तस्वीरें की भी भारी बिक्री होती है। यह कहना सही होगा कि विश्वकप के दौरान यहां ब्राजील व अर्जेंटीना की दीवानगी सिर चढ़ कर बोलने लगती है। अबकी यहां भी फुटबालप्रेमियों को उम्मीद थी कि कोपा अमेरिका कप के फाइनल में मेस्सी के कमाल से जीत का सेहरा अर्जेंटीना के माथे पर ही बंधेगा। इस टूर्नामेंट के दौरान मेस्सी ने अपने बेहतरीन खेल से इसकी उम्मीदें बढ़ा दी थीं। लेकिन टाई ब्रेकर में उनको पहला झटका लगा मेस्सी के पेनाल्टी शूट मिस करने से और फिर अर्जेंटीना की हार से। अभी इस सदमे से लोग उबरे ही नहीं थे कि मेस्सी के संन्यास के एलान ने उन पर मानो ब्रजपात कर दिया। उनको अपने कानों पर भरोसा नहीं हो रहा था।
यह खबर महानगर के फुटबाल मैदानों से लेकर चारों ओर जंगल की आग की तरह तेजी से फैल गई। सोमवार को पूरे दिन गली-नुक्कड़ से लेकर तमाम सरकारी-गैरसरकारी दफ्तरों में मेस्सी के संन्यास पर ही चर्चा होती रही। यहां लोगों का कहना है कि खेल में आखिर हार-जीत तो लगी ही रहती है। ऐसे में इस हार के बाद महज 29 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय फुटबाल को अलविदा कहना उचित नहीं है। अब अगले विश्वकप के दौरान हम उनके पैरों का जादू देखने से वंचित रह जाएंगे।
कोलकाता के मैदान इलाके में खेल रहे एक युवा फुटबालर तरुण गांगुली ने बताया कि वे पूरा मैच देख नहीं सके थे। सुबह नींद से उठने पर उनको मेस्सी के संन्यास के बारे में पता चला। इससे वे काफी बेचैन हैं। उनके साथी फुटबालर विजय सामंत का कहना था कि मेस्सी को भावनाओं में बह कर ऐसा फैसला नहीं करना चाहिए था। उनको दुनिया भर में फैले अपने प्रशंसकों का ध्यान रखना चाहिए था। महानगर के तमाम जाने-माने फुटबालरों ने भी मेस्सी के फैसले पर हैरत जताई है। पूर्व फुटबालर चुनी गोस्वामी ने कहा कि अबकी 23 साल बाद अर्जेंटीना के जीतने की उम्मीद थी। लेकिन ऐसा नहीं कर पाने की हताशा में ही मेस्सी ने यह फैसला किया है। फुटबालप्रेमियों की चिंता अब यह है कि अगले विश्वकप के दौरान वे अर्जेंटीना के किस खिलाड़ी को अपना रोल माडल बनाएंगे?