पुणे में फर्ग्युसन कॉलेज का टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ अपने दैनिक कार्यों के अलावा इन दिनों आरएसएस जनकल्याण समिति के लिए फंड जुटाने के काम में सक्रिय है। जनकल्याण समिति आएसएस से जुड़ा गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) है, जो महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त इलाकों में इन पैसों का इस्तेमाल करना चाहता है। डेक्कन एजुकेशन सोसायटी (DES) के शीर्ष नेतृत्व द्वारा कॉलेज के स्टाफ सदस्यों को यह काम सौंपा गया। DES के पुणे और अन्य इलाकों में तीन दर्जन शिक्षण संस्थान चलते हैं। इसके प्रमुख शरद कुंते हैं जो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े रहे हैं। पूर्व में वह विश्व हिंदू परिषद की पुणे इकाई के प्रमुख भी रह चुके हैं। फर्ग्युसन कॉलेज के स्टाफ ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि फंड जुटाने का आदेश शरद कुंते ने अप्रैल के दूसरे सप्ताह में एक मीटिंग के दौरान दिया।

हालांकि कॉलेज और DES का दावा है कि फंड जुटाने का काम स्वैच्छिक था, मगर कॉलेज के विभिन्न पदों पर तैनात स्टाफ ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्हें ऐसा नहीं लगता। कॉलेज के ही एक स्टाफ ने बताया, ‘जिस तरह से यह काम कॉलेज स्टाफ को दिया गया और जिस तरह आधिकारिक तरीके से रसीदें बांटी गईं। यह काम विभागों के प्रमुखों के माध्यम से किया गया। इससे स्टाफ के बीच में संदेह था कि यह काम करना है।’

DES गवर्निंग काउंसिल के चेयरमैन कुंते का कहना है कि जिन लोगों ने इसे पसंद किया सिर्फ वही लोग इस फंड जुटाने के काम में लगे थे। उन्होंने कहा, ‘पूरा प्रदेश सूखे की चपेट में है। एक संवेदनशील मानव होने के नाते हमें इन हालात को कम करने के लिए कोशिश करनी चाहिए। जनकल्याण समिति पूरे प्रदेश में जल सरंक्षण का काम करती है और हमें इसके लिए पैसा इकट्टा कर रहे हैं। स्टाफ के सभी सदस्यों ने ऐसा नहीं किया।’ कुंते के मुताबिक अभी तक 13 लाख रुपए जुटाए जा चुके हैं। इस दौरान जब यह पूछा गया कि जनकल्याण समिति प्रदेश के किस जिले में जल सरंक्षण का काम कर रही है, उन्होंने कहा कि यह जानकारी एनजीओ से मांगी जानी चाहिए।

वहीं फर्ग्युसन कॉलेज के प्रिंसिपल रविंद्रसिंह परदेसी ने कहा कि फंड जुटाने का कवायद स्वेच्छिक थी। प्रशासन ने कॉलेज के स्टाफ से फंड जुटाने की अपील की थी मगर यह जरूरी नहीं था।