पुणे महानगरपालिका (पीएमसी) की 162 सीटों के लिए मतगणना पूरी हो गई है। भारतीय जनता पार्टी का सबसे बड़ी पार्टी के रूप उभरकर आई है। हालांकि बहुमत से थोड़ा दूर रही भाजपा ने 77 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं सत्ताधारी एनसीपी को 44 सीटें मिलीं। कांग्रेस, शिवसेना और एमएनएस कुछ खास नहीं कर सकीं। कांग्रेस को 16, शिवसेना को 10 और एनएनएस को 6 सीटों पर जीत मिली। 5 सीटें अन्य के खाते में गईं।
पुणे के अभिभावक मंत्री और भाजपा नेता गिरीश बापट ने पीएमसी चुनावों में भाजपा की बढ़त के पीछे राज्य और केंद्र की भाजपा सरकार को वजह बताया। उन्होंने कहा कि लोगों की प्रमुख समस्याओं पर सुस्त रवैया के चलते पुणे के निवासियों ने एनसीपी और कांग्रेस को नकार दिया है। चुनाव में पुणे के वर्तमान मेयर प्रशांत जगताप और उनकी मां ने जीत दर्ज की। हालांकि पुणे के पूर्व मेयर दत्तात्रेय धवकावड़े (NCP) को हार का सामना करना पड़ा। खुशी में प्रशांत ने अपनी माता को गोद में उठा लिया था।
2012 में पीएमसी में एनसीपी ने जीत दर्ज की थी। एनसीपी ने 162 में से 51 सीटें जीती थी, वहीं भाजपा (26), कांग्रेस (28) और एमएनसी (29) के बीच कड़ी टक्कर रही थी। पीएमसी के लिए मेयर चुनने के लिए 21 फरवरी को वोट डाले गये थे। यहां रिकॉर्ड 55.5 प्रतिशत लोगों ने वोट डाले थे। ख़ास बात ये है कि पानी और सफाई की समस्या से जूझ रहे झुग्गी बस्तियों में वोटिंग का प्रतिशत और भी ज्यादा रहा है। हालांकि बीजेपी के हौसले बुलंद हैं, पार्टी का कहना है कि पीएमसी पर इस बार बीजेपी अपना झंड़ा लहराएगी।
पीएमसी की 162 सीटों के लिए 1090 कैंडिडेट अपना भाग्य आजमा रहे हैं। बस कुछ ही घंटों में पुणे की तस्वीर साफ हो जाएगी। पुणे में राज्य सरकार और महानगरपालिका पर मेट्रो चलाने की अहम जिम्मेदारी है। इसके अलावा पुणे में सफाई का मुद्दा भी नगरपालिका चुनाव में बड़े जोर-शोर से उभरा था। केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर पुणे से ही आते हैं और 21 फरवरी को उन्होंने अपने पूरे परिवार के साथ वोट डाला था।
(Photo Source: Indian Express/Partha Biswas)

