मुंबई की मोटरवुमेन मुमताज एम. काजी, जिन्हें तीन साल पहले एशिया का पहली महिला डीजल इंजन चालक होने का गौरव प्राप्त हुआ था, बुधवार को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ से सम्मानित किया। इस साल विभिन्न क्षेत्रों से सात शीर्ष महिलाओं को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।मुमताज (45) को कई तरह की रेलगाड़ियों के परिचालन में महारत हासिल है। वर्तमान में छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस-ठाणे खंड पर मध्य रेलवे की उपनगरीय लोकल ट्रेन को चलाती है, जो कि महिला चालक द्वारा चलाए जानेवाला अब तक का भारत का पहला और सबसे भीड़भाड़ वाला रेलवे मार्ग है।
केंद्रीय रेलवे के अधिकारी ने बताया कि एक रूढ़िवादी मुस्लिम परिवार से आनेवाली काजी करीब 25 साल से ट्रेन इंजन की चालक रही हैं और देश की लाखों महिलाएं उनसे प्रेरणा हासिल कर रही हैं। हालांकि यह सब उस लड़की के लिए बिल्कुल आसान नहीं था, जिसने 1989 में सांताक्रूज उपरनगर के सेठ आनंदीलाल पोद्दार हाईस्कूल से पढ़ाई की थी और रेलवे में नौकरी के लिए आवेदन किया था। उनका विरोध करने वाला पहला व्यक्ति उनके पिता अल्लारखू इस्माइल काथवाला थे, जो एक वरिष्ठ रेलवे कर्मचारी थे। पारंपरिक ख्यालों वाले मुमताज के पिता नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी एक ऐसी नौकरी करे जिसमें अबतक पुरुषों का वर्चस्व हो। इसके अलावा बतौर रेलवे ड्राइवर मुमताज को ऑड ऑवर्स में भी नौकरी करनी पड़ती, ये मुमताज के पिता को गंवारा नहीं था। लेकिन कुछ पारिवारिक मित्रों और रेल अधिकारियों ने उन्हें मुमताज को सपना पूरा करने देने के लिए मना लिया। 1995 में पहली महिला डीजल इंजन ड्राइवर होने पर उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया था।
अब पूरा परिवार मुमताज पर गर्व करता है। वह सायन में रहती हैं। उन्होंने नंदुरबार के एक बिजली इंजीनियर मकसूद काजी से शादी की है, मुमताज के दो बेटे 14 वर्षीय तौसीफ और 11 फतेन को अपनी अम्मी की कामयाबी पर गर्व है। मुमताज बताती हैं कि आपको अपने सपने हर हाल में पूरे करने चाहिए, शुरुआत में कुछ विरोध हो भी तो उसका मुकाबला करना चाहिए। सफलता जरुर आपको कदम चुमेगी।

