मुंबई में डांस बार खोलने के कड़े नियमों को लेकर गुरुवार (17 जनवरी, 2019) को सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला आया। अदालत ने डांस बार का लाइसेंस लेने के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा तय किए गए कड़े नियमों में राहत दी है। इसके अलावा, डांस के लिए साढ़े 5 घंटे की अवधि को बनाए रखा है। इससे पहले, डांस बार पर महाराष्ट्र सरकार के बनाए कड़े कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पिछले साल 30 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब न्यायमूर्ति ए के सीकरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने डांस बार के संचालन की अनुमति देकर लाइसेंस का रास्ता साफ कर दिया।
कोर्ट ने ऑकेस्ट्रा और टिप देने की इजाजत तो दी, लेकिन बार में डांस बालाओं पर नकदी और सिक्के लुटाने पर रोक लगाई। कोर्ट ने कहा कि डांस बार पर पूरी तरह प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। अदालत ने बार के अंदर सीसीटीवी कैमरे लगवाने की शर्त को भी खत्म कर दिया। कोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र सरकार ने 2005 के बाद कोई लाइसेंस नहीं दिया है। अदालत के मुताबिक, नियम कानून का पालन हो लेकिन पूरी तरह प्रतिबंध नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने इस प्रावधान को रद्द कर दिया कि महाराष्ट्र में डांस बार धार्मिक स्थानों और शैक्षिक संस्थानों से एक किलोमीटर दूर होने चाहिए।
होटलों और रेस्तरां के संगठन ने कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार के कानून को चुनौती दी थी। सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि नया कानून संवैधानिक दायरे में आता है और महिलाओं के शोषण को रोकता है। सरकार ने यह भी कहा था कि कानून महिलाओं का सम्मान बनाए रखने और उनकी हिफाजत के लिए ही हैं। वहीं, कोर्ट ने माना था कि वक्त के साथ अश्लीलता की परिभाषा बदल गई है और अब मोरल पुलिसिंग भी हो रही है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ‘2005 के बाद से अब तक एक व्यक्ति को भी (डांस बार का) लाइसेंस नहीं दिया गया। ऐसा नहीं किया जा सकता। इस संबंध में नियम तय किए जा सकते हैं, लेकिन पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता।’ कोर्ट ने डांस बार धार्मिक स्थलों और शिक्षण संस्थाओं से एक किलोमीटर दूर खोलने की अनिवार्यता संबंधी प्रावधान को ‘असंवैधानिक’बताया।