आयकर विभाग ने सहारा समूह की पुणे स्थित एम्बी वैली सिटी की होने वाली नीलामी में 24,000 करोड़ रुपये की दावेदारी पेश की है। बॉम्बे हाई कोर्ट के अधिकारी सहारा की एम्बी वैली को नीलाम करने वाले हैं। इंडियने एक्सप्रेस के पास आयकर विभाग द्वारा हाई कोर्ट के आधिकारिक नीलामी अधिकारी के पास भेजे आवेदन की प्रति मौजूद है। हाई कोर्ट के आधिकारिक नीलामी अधिकारी ने एम्बी वैली के लिए न्यूनतम बोली 37,392 करोड़ रुपये रखी है। आयकर विभाग ने 24,843 करोड़ रुपये का दावा किया है जिसमें ब्याज नहीं शामिल है। आयकर विभाग के अनुसार एम्बी वैली की मालिक कंपनी एम्बी वैली लिमिटेड (एवीएल) पर आयकर बकाया है। आयकर विभाग ने 26 अप्रैल को आधिकारिक नीलामी अधिकारी के पास अपना आवेदन भेजा। सुप्रीम कोर्ट के इस साल फरवरी में आदेश दिया था कि सहारा समूह द्वारा 5092 करोड़ रुपये न जमा किये जाने के एवज में एम्बी वैली को नीलाम करके ये राशि वसूल जाए।
सोमवार (11 सितंबर) को सुप्रीम कोर्ट नीलामी के अगले कदम पर फैसला कर सकता है। सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय को सात सितंबर तक अदालत में अपनी “विश्वसनीयता बहाल” (बोना फाइड) करने के लिए 1500 करोड़ रुपये जमा करने का आदेश दिया था। अदालत ने कहा था कि अगर समूह पैसे समय से जमा कर देगा तो नीलामी प्रक्रिया रोकी जा सकती है। जनवरी में आयकर विभाग एम्बी वैली लिमिटेड को वित्त वर्ष 2012-23 के लिए 24,646 करोड़ रुपये की आय छिपाने को लेकर नोटिस भेजी थी। आयकर विभाग के अनुसार एम्बी वैली लिमिटेड ने अपने बहीखातों में इस आय को नहीं दर्शाया था इसलिए उस पर बकाया टैक्स और जुर्माना देने के लिए कहा गया।
14 अगस्त को नीलामी अधिकारी ने एम्बी वैली की नीलामी की सभी प्रमुख अखबारों में नोटिस जारी की। करीब 6,761.6 एकड़ में फैली एम्बी वैली सिटी लोनावाला के करीब है। इससे जुड़ी हुए दो भूखंडों का रकबा करीब 1700 एकड़ है। नीलामी अधिकारी की अधिसूचना में कहा गया है कि बोली लगाने वाले को केवाईसी (ग्राहक का परिचय) फॉर्म भरना पड़ेगा। बोली लगाने वाले 21 सितंबर से तीन अक्टूबर के बीच अपनी बोली में शामिल होने की अर्जी जमा कर सकते हैं। 10 और 11 अक्टूबर को एमएसटीसी लिमिटेड की मदद से नीलामी होगी। साल 2011 में सेबी ने पाया कि सहारा समूह ने तीन करोड़ निवेशकों से 20 हजार करोड़ रुपये गैर-कानूनी तौर पर वसूले थे। अगस्त 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को सेबी को 24 हजार करोड़ रुपये देने के लिए कहा। हालांकि बहुत से निवेशक अपना पैसा वापस लेने के लिए सामने नहीं आए। मई 2014 में सुब्रत रॉय को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश न मानने की वजह से जेल भेज दिया। हालांकि अभी वो पैरोल पर रिहा हैं।
