मुंबई पुलिस के एक शीर्ष अधिकारी ने शनिवार को कहा कि सुरक्षाबलों ने कभी नहीं सोचा था कि 26/11 जितना भयावह हमला होगा और यह उसकी सोच की विफलता थी। मुंबई पुलिस के संयुक्त आयुक्त (कानून-व्यवस्था) देवेन भारती ने कहा कि हमने कभी नहीं सोचा था कि समुद्र के रास्ते से विभिन्न जगहों पर आतंकवादी हमला हो सकता है। उस हमले के बाद अन्य देशों की पुलिस को भी एक ही समय 5-6 हमलों से निबटने की अपनी संचालन प्रक्रिया (एसओपी) बदलनी पड़ी। वे यहां दक्षिण मुंबई के काला घोड़ा में ‘26/11 : ताकत की कहानी’ विषयक वीडियो प्रदर्शनी के दौरान परिचर्चा में बोल रहे थे। इंडियन एक्सप्रेस ने फेसबुक और इंस्टाग्राम के साथ मिल कर इस प्रदर्शनी का आयोजन किया था।
वर्ष 2008 को 26 नवंबर के हमले के दौरान अपराध शाखा से संबद्ध रहे भारती ने कहा कि मुंबई पुलिस के पास तब इतने भयावह हमले से निबटने की एसओपी नहीं थी, और वरिष्ठ कर्मी अपनी टीमों, जज्बे और संकल्प की मदद से जो कुछ कर सकते थे, उन्होंने किया।

भारती ने कहा कि वह हमला हमारी सोच की विफलता थी। लेकिन आज हमारे पास राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड जैसा लड़ाकू बल है, जिसे इजराइल, अमेरिका और जर्मनी की एजंसियों से प्रशिक्षण मिलता है। वे किसी भी कमांडो के समतुल्य हैं। हम आज कहीं बेहतर तरीके से आतंकी स्थिति का मुकाबला कर सकते हैं। इस कायराना हमले में अपने परिवार को गंवा चुकीं किया स्केर ने कहा कि मैंने उन्हें माफ कर दिया है, जिन्होंने मेरे परिवार की हत्या कर दी, क्योंकि मैं नाराजगी के बोझ से मुक्त रहना चाहती हंू। हमले के बाद मेरा मुंबई में एक बार फिर से पुनर्जन्म हुआ। मुझे यहां लोगों से बहुत ही प्यार और सदाशयता मिली। इस हमले में बाल-बाल बचे सौरव मिश्रा ने कहा कि आतंकवादियों के हमले के दौरान वे कोलाबा के कैफे लियोपोल्ड में थे और वे अपने को बड़ा सौभाग्यशाली मानते हैं कि उनकी जान बच गई। मिश्रा ने कहा कि जब मेरे शरीर में गोलियां लगीं तो मैं किसी तरह एक दरवाजे से बाहर निकल पाया। हर चीज फिल्मी जैसा लगा, बिल्कुल धुंधला। कैफे के बाहर एक स्थानीय फेरीवाला मुझे अस्पताल ले गया और मैं हमेशा सोचता रहा कि बच नहीं पाऊंगा।