महाराष्ट्र की राज्य शिक्षा शोध समिति ने सभी शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे अपने प्रभाव क्षेत्र में आने वाले सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को सूचित करें कि वे लखे प्रकाशन की समर्थ श्री रामदास स्वामी पर लिखी पाठ्यपुस्तक की प्रतियां जमा करें और उसे अपनी निगरानी में रखें।
निर्देश में यह भी कहा गया है कि विद्यार्थियों को इस पुस्तक को पढ़ने की अनुमति नहीं है। आदेश में ये दावा किया गया है कि इस पुस्तक में मराठा योद्धा राजा छत्रपति संभा जी महाराज के बारे में आपत्तिजनक बातें लिखी गई हैं। महाराष्ट्र की राज्य शिक्षा शोध समिति के उप निदेशक (समन्वय) विकास गारद ने प्रकाशन की पाठ्यपुस्तक के बारे में आपत्ति जताई है। ये पुस्तक विद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल है।
गारद ने कहा कि विशेषज्ञ इतिहासकारों की समिति गठित की जानी चाहिए और राज्य सरकार के अगले आदेश तक ये पुस्तक विद्यार्थियों को नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा,” सभी प्रधानाध्यापक अपने स्कूलों के परिसर में इस पुस्तक को अपनी निगरानी में रखेंगे।”
गारद ने सभी म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन के सभी शिक्षा अधिकारियों के साथ ही प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों को निर्देश दिया है। इसके अलावा सभी शिक्षा निरीक्षकों और सभी स्कूलों के प्रशासनिक अधिकारियों को भी इस निर्देश का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं।
हालांकि, विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष एनसीपी के धनंजय मुंडे ने राज्य के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े से माफी की मांग की है। मुंडे ने कहा, ”अगर छत्रपति संभाजी महाराज के प्रति आपत्तिजनक सामग्री वाली पुस्तक का प्रसार बंद नहीं हुआ तो पुस्तक के लेखक और प्रकाशक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।”
