मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार (24 मार्च) हड़ताली रेजीडेंट डाक्टरों को काम पर लौटने या कानूनी कार्रवाई का सामना करने का अल्टीमेटम दिया है। उधर, बंबई हाई कोर्ट ने सरकारी अस्पतालों को उनकी सेवाएं खत्म करने का विकल्प दिया है। इस बीच, महाराष्ट्र रेजीडेंट डाक्टरों को समर्थन दे रहे भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने हड़ताल वापस ले ली है। फडणवीस ने कहा, ‘‘बस बहुत हो गया। अगर डाक्टर आज काम पर नहीं लौटते हैं तो सरकार चुप नहीं बैठेगी।’’ उन्होंने डाक्टरों के रवैये को ‘‘अड़ियल’’ और ‘‘असंवेदनशील’’ बताया है। अस्पतालों में सुरक्षा बढाने के समर्थन में डाक्टरों की हड़ताल का आज पांचवां दिन है।
मुख्यमंत्री ने राज्य विधानसभा में कहा, ‘‘हम मरीजों को मरने के लिए छोड़ नहीं सकते। मैं डाक्टरों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करके गतिरोध खत्म करने का अंतिम प्रयास कर रहा हूं। अगर कोई समाधान नहीं निकलता है और डाक्टर काम पर नहीं लौटते हैं तो उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।’’
करीब चार हजार रेजीडेंट डाक्टर सोमवार से काम से दूर हैं और उनकी सुरक्षा बढाने की मांग है क्योंकि राज्य के सरकारी अस्पतालों में मरीजों के रिश्तेदारों द्वारा उनके सहयोगियों पर कई हमले हुए हैं। डाक्टरों पर ‘‘असंवेदनशील’’ होने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी स्थिति को स्वीकार करना मुश्किल है जहां मरीजों को मरने के लिए छोड़ दिया जाए। वहीं महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री गिरिश महाजन ने भी रेजिडेंट डॉक्टरों को अपनी हड़ताल वापस लेने और काम पर लौटने या कड़ी कार्रवाई का सामना करने की चेतावनी दी है।
विधानसभा में प्रश्नकाल के बाद यह मामला तब उठा जब शिवसेना विधायक प्रताप सरनाइक ने आज पांचवें दिन डॉक्टरों की हड़ताल जारी रहने से मरीजों के सामने आ रही समस्याओं का जिक्र किया। महाजन ने कहा कि हाई कोर्ट के निर्देश और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस की अपील के बावजूद डॉक्टर काम पर नहीं लौटे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने हमसे लिखित में लिया कि हम उनकी दस मांगों को स्वीकार कर रहे हैं जिसमें 1100 सुरक्षा गार्ड उपलब्ध कराना भी शामिल है। पूर्व पुलिस अधिकारियों द्वारा चलाई जा रही निजी एजेंसियों के गार्डों को काम पर रखा जाएगा। सरकार ने इसके लिए 33 करोड़ रूपये की राशि को मंजूरी दी है।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘डॉक्टरों ने हमें बताया कि वे हमारे रूख से संतुष्ट हैं और फिर बाहर गये तथा उन्होंने कहा कि वे अपनी हड़ताल जारी रखेंगे। यह मामला हाथ से निकल रहा है और सरकार असहाय महसूस कर रही है। हमें नहीं पता कि हमें क्या करना चाहिए। सरकार एक बार फिर डॉक्टरों से अपनी हड़ताल वापस लेने और काम पर लौटने की अपील करती है अन्यथा कड़ी कार्रवाई की जाएगी।’’
भाजपा सदस्य योगेश सागर ने कहा कि सरकार को डॉक्टरों को अल्टीमेटम देना चाहिए और अगर वे काम पर नहीं लौटे तो उनके पंजीकरण रद्द करके उनके खिलाफ मामले दर्ज करने चाहिए। इस दौरान भाजपा के अन्य सदस्यों और शिवसेना विधायकों ने उनकी मांग का समर्थन किया।
गौरतलब है कि करीब 4000 रेजिडेंट डॉक्टर राज्य में सरकारी अस्पतालों में मरीजों के रिश्तेदारों द्वारा अपने सहकर्मियों पर किए जाने वाले हमलों के मद्देनजर सुरक्षा बढ़ाने की मांग को लेकर सोमवार से हड़ताल पर हैं।