वल्लभ ओजारकर
Maharashtra Politics: एकनाथ शिंदे ने अक्सर अपने गुरु आनंद दिघे के बारे बात करते थे और हाल में ही धर्मवीर नामक एक मराठी फिल्म को भी फाइनेंस किया है जो शिवसेना के सबसे मजबूत व्यक्ति (आनंद दिघे) के जीवन पर आधारित थी। अब दीघे की विरासत पर उनके दावे को शिवसेना से चुनौती मिल रही है। साल 2001 में दिघे के देहांत के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने ठाणे जिले में शिवसेना का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया और अपना आधार बनाया।उद्धव ठाकरे इन दिनों शिवसेना को एक बार फिर से मजबूती से खड़ा करने के काम में जुटे हैं। ठाकरे ने एकनाथ शिंदे के मजबूत आधार वाले इलाके ठाणे जिले में उनके सियासी गुरू आनंद दिघे के भतीजे केदार दिघे को शिवसेना की कमान सौंप दी है।

अब एकनाथ शिंद को अपने गुरू के 42 वर्षीय भतीजे केदार दिघे की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने रविवार को शिवसेना का ठाणे जिला प्रमुख नियुक्त किया था। नियुक्ति के दो दिन बाद ही मंगलवार को मुंबई पुलिस ने केदार दिघे के खिलाफ एक 23 वर्षीय महिला को धमकाने का मामला दर्ज किया है। इस महिला के साथ केदार दिघे के मित्र पर कथित तौर पर दुष्कर्म का आरोप है। आपको बता दें कि शिवसेना में हुई बगावत के बाद बड़ी संख्या में विधायक, पार्षद और सांसद उद्धव ठाकरे का साथ छोड़कर एकनाथ शिंदे के साथ आ गए हैं।

Kedar साल 2006 से सक्रिय राजनीति में

अंदरूनी सूत्रों की मानें तो ठाकरे का ये निर्णय शिंदे के खिलाफ केदार को खड़ा करना उन्हें एक बार फिर से ठाणे और पालघर जिलों में मजबूत करेगा। केदार साल 2006 से ठाणे में सक्रिय राजनीति में हैं और आदित्य ठाकरे के नेतृत्व वाली युवा सेना में भी पदों पर रहे हैं। शिवसेना के पदाधिकारियों ने कहा कि उन्होंने दो बार विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त की थी, लेकिन उन्हें पार्टी का टिकट नहीं मिला। उन्होंने अनुमान लगाया कि इसका एक कारण यह है कि शिंदे ने जिला इकाई में केदार को दरकिनार कर दिया।

Anand Dighe ने Eknath Shinde को बनाया सियासत का माहिर खिलाड़ी

आनंद दिघे ने ही एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र की सियासत में आगे बढ़ाया। दिघे ने शिंदे को 1997 में ठाणे नगर निगम में पार्षद बनवाया और फिर नगर निगम में सदन का नेता भी बनाया। 2001 में आनंद दिघे की मौत के बाद शिंदे ने ठाणे-कल्याण में उनकी जगह पर शिवसेना को मजबूत करने का काम शुरू किया।

Anand Dighe की विरासत का दाव कर सकते हैं Kedar Dighe

ठाकरे गुट के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, “शिंदे ने ठाणे, पालघर, कल्याण-डोंबिवली, भिवंडी और अंबरनाथ बेल्ट पर दिघे के नाम पर इन क्षेत्रों में काम करके अपना वर्चस्व कायम किया है। उनकी बगावत के बाद ठाणे में शिवसेना को बड़ा झटका लगा। सांसद राजन विचारे और उनकी पत्नी जो एक नगरसेवक हैं को छोड़कर पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता और निर्वाचित प्रतिनिधि शिंदे के साथ हैं। ऐसी स्थिति में केदार दिघे को ठाकरे द्वारा रणनीतिक सिपाही नियुक्त किया गया था जो आनंद दिघे की विरासत का दावा कर सकते हैं और शिंदे को टक्कर भी दे सकते हैं।” पार्टी के एक और कार्यकर्ता ने कहा, “हालांकि कुछ विधायकों और नगरसेवकों ने पार्टी छोड़ दी है, कैडर ठाकरे और केदार दिघे के प्रति वफादार है, जो युवाओं के साथ-साथ पुराने ऐसे शिव सैनिकों को भी आकर्षित कर सकते हैं जो आनंद दिघे के प्रति वफादार थे।”

Kedar ने ली ठाणे पूर्व मेयर नरेश म्हस्के की जगह

केदार ने ठाणे के पूर्व मेयर नरेश म्हस्के की जगह ली जिन्होंने शिंदे के समर्थन में आने के बाद पार्टी के जिला प्रमुख के पद से इस्तीफा दे दिया। उद्धव ठाकरे ने आनंद दिघे की एक अन्य करीबी सहयोगी अनीता बिरजे को भी पार्टी के उप नेता के रूप में नियुक्त किया। बिरजे ने इससे पहले ठाणे में पार्टी की महिला शाखा का नेतृत्व किया था। मुंबई के बाद ठाणे को शिवसेना का गढ़ माना जाता है। यह महाराष्ट्र का पहला शहर था जहां पार्टी निकाय चुनाव जीतने में सफल रही और शिवसेना के मेयर का चुनाव करने वाला पहला शहर भी था। लेकिन शिंदे के नेतृत्व वाले विद्रोह ने पार्टी को विभाजित कर दिया है।