महाराष्ट्र में इस बार मानसून में लगातार बारिश हो रही है। बारिश के कारण राज्य के मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्र में इस बार जलस्तर में अच्छी बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि, ग्राउंडवाटर सर्वे और विकास एजेंसी (जीएसडीए) ने अपनी रिपोर्ट में चिंताजनक स्थिति की बात कही है।

रिपोर्ट में राज्य के 11078 गांवों में भूजल स्तर में कमी की बात कही गई है। इसमें बताया गया है कि इन गावों में भूजल स्तर में 1 से तीन मीटर तक की कमी  आई है। पिछले साल भूजल में कमी वाले गांवों की संख्या 9529 थी। वहीं 2017 में ऐसे गांवों की संख्या 5156 थी।

इस तरह दो साल में भूजल स्तर में कमी दर्ज करने वाले गांवों की संख्या में दोगुना बढ़ोतरी हो गई है। जीएसडीए के अधिकारी ने कहा, ‘ग्राउंडवाटर रिजर्व के अच्छे रिचार्ज के लिए मानसून काफी महत्वपूर्ण है। जमीन के अंदर पानी का रिसाव उस समय होता है जब हल्की से मध्यम बारिश लगातार होती रहती है। वहीं जब भारी बारिश होती है तो उसका पानी सतह पर ही रह जाता है।’

राज्य में अभी तक विदर्भ और मराठवाड़ा क्षेत्र में बहुत अच्छी बारिश हुई है। हालांकि, अभी यहां सामान्य की तुलना में बारिश में विदर्भ और मराठवाड़ा में क्रमशः 40 फीसदी और 32 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। मानसून का करीब डेढ़ महीना बीत चुका है, इसके बावजूद अभी राज्य के कुओं में पानी का स्तर नहीं बढ़ा है।

हालिया रिपोर्ट के अनुसार साल 2018 की तुलना में मराठवाड़ा के गांव तीन गुना प्रभावित हुए हैं। यहां के 1844 गांवों में भूजल के स्तर में काफी कमी (करीब 3 मीटर से अधिक)आई है। वहीं पहले इस क्षेत्र में भूजल के स्तर में कमी वाले गांवों की संख्या 948 थी। इसी तरह पुणे और नासिक क्षेत्र में स्थिति अलग नहीं है।

यहां नासिक में 465 और पुणे के 98 गांवों में भूजल के स्तर में तेजी से कमी देखने को मिल रही है। इस बार अच्छी खबर सिर्फ कोंकण क्षेत्र से है। इस क्षेत्र के किसी भी गांव से भूजल स्तर में कमी होने की खबर नहीं है। पिछली बार राज्य के इस तटीय क्षेत्र के 81 गांव भूजल स्तर की कमी से प्रभावित थे।