देश को खुले में शौच से मुक्ति दिलाकर गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए स्वच्छता अभियान के तहत करीब 9 करोड़ शौचालय बनवाए। लेकिन इसका उपयोग शौच की बजाय घर के दूसरे कामों में किया जा रहा है। महाराष्ट्र के नंदुरबार से जो तस्वीर सामने आई है उसमें मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में शुरू हुए इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन पर सवाल खड़े हो गए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार के लाख दावों के बावजूद नंदुरबार जिले के कई गांव ऐसे हैं जहां अभी तक टॉयलेट की सुविधा पहुंची ही नहीं है। जिले में 13 गांव आते हैं और उन गांव वालों का कहना है कि उनके घर पर अभी तक शौचालय नहीं बने हैं। बताया जा रहा है कि जिन घरों तक यह सुविधा पहुंची है, वहां भी पानी की किल्लत के चलते इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है। इस पूरे मामले में जब नंदुरबार के जल आपूर्ति और स्वच्छता विभाग के अधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि काम की जिम्मेदारी के साथ-साथ दिए गए ठेकेदारों को ग्रांट तभी मिलता है जब वह टॉयलेट को लगा देते हैं।

ओडीएफ नहीं बन सका महाराष्ट्र: राज्य सरकार ने 2018 में पूरे महाराष्ट्र को खुले में शौच से मुक्त करार दिया था। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयान कर रही है। नंदुरबार की धड़गांव और अक्कलकुवा तहसील में लोगों को अभी भी शौचालय नहीं मिला है, जिन्हें मिला है वे पानी की कमी के कारण, प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं। बताया जा रहा है कि कुछ लोग शौचालय को घरेलू इस्तेमाल में ला रहे हैं। दनेल गांव के 45 वर्षीय निवासी कालुसिंह पाडवी ने कहा कि गांव में पानी की बहुत कमी है। ऐसे में शौचालय के लिए पानी का प्रयोग करना असंभव है। वहीं स्थानीय सरपंच ममता पाडवी ने कहा कि मंडवा गांव के करीब 200 घरों में अब तक सरकार द्वारा शौचालय प्रदान नहीं किए गए हैं।

सरकार से पैसे लेकर भी नहीं बनवाए शौचालयः दनेल गांव के निवासियों का कहना है कि गांव में शौचालय बनवाने के लिए सरकार ने स्थानीय ठेकेदारों को जिम्मा सौंपा था। सरकार ने कुल 12 हजार रुपए हर घर को दिए थे जिसमें सामान लाने का जिम्मा गांव वालों का था। वहीं गांव वालों का दावा है कि ठेकेदारों ने शौचालय बनवाए ही नहीं और सरकार से सीधे पैसे हड़प लिए। चेतन साल्वे नामक एक सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है कि इलाके में जो शौचालय बने हैं वे भी काफी जल्दबाजी में बनाए गए हैं।

National Hindi News, 31 May 2019 LIVE Updates: पढ़ें आज की बड़ी खबरें

बरसात में ही हो पा रहा इस्तेमालः बताया जा रहा है कि सरदार सरोवर बांध के पास रहने वालों की भी यही शिकायत है। गांव निवासी नूरजी वासवे कहना है कि इलाके में पानी की कमी होने के कारण लोग टॉयलेट को केवल बरसात में ही प्रयोग करते हैं। वहीं इलाके के लोगों का कहना है कि निर्माण ऐसा हो जिसका लोग इस्तेमाल कर पाए। जल आपूर्ति और स्वच्छता सहायता संगठन के निदेशक राहुल साकोर ने कहा, ‘हम शौचालय निर्माण का नए सिरे से तैयार करने की प्रक्रिया में हैं। बता दें कि पिछले साल अप्रैल में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र को 100 प्रतिशत ओडीएफ घोषित किया था। बता दें कि सरकार ने दावा किया था। 2014 और 2018 के बीच 56 लाख टॉयलेट बनाए गए थे।’