महाराष्ट्र में शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ सुर्खियों में छाए हुए हैं। उन्होंने मंगलवार को अपने आवास की कैंटीन में ‘बासी खाने’ को लेकर एक कर्मचारी के साथ कथित तौर पर मारपीट की थी। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस पूरे मामले पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का बयान सामने आया है। देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को कहा कि विधान परिषद के सभापति और विधानसभा अध्यक्ष को शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला करना चाहिए। वहीं विधायक ने कहा कि वो माफी नहीं मांगेंगे।
वहीं पूरे मामले पर शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ ने कहा, “मैं माफ़ी नहीं मांगूंगा। सीएम और डिप्टी सीएम ने जो भी कहा वो उनका कर्तव्य है। मैं उनके शब्दों का सम्मान करता हूं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि होटल की जांच होनी चाहिए। मुझे कोई पछतावा नहीं है। मैं ज़हर खाने वाला था। दूसरे लोग ये नहीं समझ सकते, इसलिए मुझे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है।”
उद्धव के विधायक ने उठाया मुद्दा
शिवसेना (यूबीटी) के विधान पार्षद अनिल परब ने सदन में इस मुद्दे को उठाया। इसके बाद फडणवीस ने विधान परिषद में कहा कि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की पार्टी के आकाशवाणी से विधायक संजय गायकवाड़ का व्यवहार अशोभनीय था और इससे विधानमंडल की छवि धूमिल हुई है।
विपक्षी विधायक अनिल परब ने मुख्यमंत्री से पूछा, “सरकार का एक वरिष्ठ विधायक बनियान और तौलिया पहनकर आता है और एक कर्मचारी की पिटाई करता है। क्या विधायकों के व्यवहार के बारे में कोई निर्देश हैं? क्या ये लोग सीधे सड़क से आ रहे हैं? उस कर्मचारी का क्या अपराध था? इससे आपकी सरकार की छवि खराब हो रही है। क्या आप ऐसे लोगों का समर्थन लेंगे और क्या आप ऐसे लोगों के समर्थन से सरकार चलाएंगे?”
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अनिल परब ने आगे कहा, “विधायकों का निवास विधानमंडल के अधिकार क्षेत्र में आता है। अगर मैं विधानमंडल में किसी की पिटाई करता हूं, तो आप मुझे निलंबित कर देंगे। इसलिए इस विधायक को निलंबित करके जनता को संदेश दें कि हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
फडणवीस ने लगाई क्लास
फडणवीस ने कहा कि अगर खाना अच्छा नहीं था, तो विधायक इसकी शिकायत कर सकते थे। उन्होंने कहा, “लेकिन इस तरह पिटाई और उसका वीडियो सामने आने से हमारी छवि पर असर पड़ता है। इससे जनता में गलत संदेश जाता है। एक विधायक के तौर पर जनता के सामने आपका (विधायक गायकवाड़ का) ऐसा व्यवहार ठीक नहीं है। सभापति और विधानसभा अध्यक्ष को इस पर ध्यान देना चाहिए और तय करना चाहिए कि इस पर क्या कार्रवाई की जाए।”
