Maharashtra Politics: शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के बेहद करीबी रहे चंपा सिंह थापा और मोरेश्वर राजे ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का साथ थाम लिया है। चंपा सिंह थापा करीब तीन दशक तक बालासाहेब ठाकरे के सहयोगी रहे, इस वजह से उन्हें ठाकरे की छाया कहा जाता था, लेकिन ठाकरे की मृत्यु के बाद थापा की मतोश्री से दूरियां बढ़ती चली गईं। इसके चलते आज उन्होंने शिंदे गुट का हाथ थाम लिया है। वहीं, मोरेश्वर राजे ने भी तीन दशक से ज्यादा समय बालासाहेब के मतोश्री में अपनी सेवाएं दी हैं आज वह भी एकनाथ शिंदे गुट के साथ जुड़ गए हैं।

मोरेश्वर को बालासाहेब ठाकरे का बेहद करीबी माना जाता था। उन्होंने मतोश्री में 35 साल बिताए। वहीं, चंपा सिंह थापा 1970 के दशक में बालासाहेब ठाकरे से जुड़े थे और 27 साल मतोश्री में अपनी सेवा दी। हालांकि, साल 2012 में जब ठाकरे का निधन हुआ तो थापा की मतोश्री से दूरियों बढ़ती चली गईं और आज वह शिंदे गुट में शामिल हो गए हैं।

थापा को शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे का सबसे विश्वासपात्र सहकारी माना जाता था। ठाकरे हमेशा वही पानी पीते या खाना खाते थे, जो थापा उन्हें देते थे, लेकिन शिवसेना में बंटवारे के बाद उन्होंने एकनाथ शिंदे गुट में शामिल होने का फैसला लिया। नवरात्री के कार्यक्रम के दौरान वह शिंदे गुट में शामिल हुए हैं।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने थापा और राजे को शॉल ओढाकर उनका स्वागत और अभिवादन किया। उन्होंने कहा, “नवरात्री के इस पावन अवसर पर, हर कोई खुश है कि त्योहारों पर प्रतिबंध (महामारी संबंधी) हटा दिया गया है।” उन्होंने कहा कि बालासाहेब की छाया कहे जाने वाले थापा और राजे के शामिल होने से उत्सव का माहौल और ज्यादा खुशनुमा हो गया है।

शिंदे ने कहा कि दोनों नेताओं ने उनके गुट में शामिल होने का फैसला किया हैं क्योंकि वह “असली” शिवसेना का प्रतिनिधित्व करते हैं और शिवसेना के संस्थापक और हिंदुत्व की शिक्षाओं को आगे बढ़ा रहे हैं।

उन्होंने कहा, “बालासाहेब सीधी-सादी और साफ बातें करते थे। लोग बालासाहेब को अच्छी तरह जानते थे और इसलिए उन्होंने महा विकास अघाड़ी के तहत कांग्रेस और राकांपा के साथ शिवसेना के गठबंधन को स्वीकार नहीं किया।” पालघर जिला परिषद के अध्यक्ष वैदेही वडन और स्थानीय निकाय के कुछ सदस्य भी इस अवसर पर शिंदे गुट में शामिल हुए।