प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार (11 अक्टूबर, 2022) को मध्य प्रदेश के उज्जैन में “महाकाल लोक कॉरिडोर” के पहले चरण का उद्घाटन करेंगे। 800 करोड़ रुपये के महाकाल कॉरिडोर का आकार काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का चार गुना है। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन पिछले साल के अंत में किया गया था।
हिंदू धर्म में क्या है ज्योतिर्लिंग का महत्व
पुराणों के अनुसार, ज्योतिर्लिंगों को भगवान शिव की ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। भारत में 12 ज्योतिर्लिंग स्थल हैं, जिन्हें शिव का एक रूप माना जाता है।पुराणों में कहा गया है कि जब तक महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन नहीं कर लेते, तब तक आध्यात्मिक जीवन पूर्ण नहीं हो सकता है। हिंदू शास्त्रों में ज्योतिर्लिंग का काफी महत्व बताया गया है। इसमें कहा गया है कि ज्योतिर्लिंग कोई सामान्य शिवलिंग नहीं है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने 12 जगहों पर साक्षात दर्शन दिए थे, तब वहां ज्योतिर्लिंग उत्पन्न हुए।
दक्षिण की ओर मुख वाला एकमात्र ज्योतिर्लिंग
महाकाल दक्षिण की ओर मुख वाला एकमात्र ज्योतिर्लिंग है, जबकि अन्य सभी ज्योतिर्लिंगों का मुख पूर्व की तरफ है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मृत्यु की दिशा दक्षिण मानी जाती है। अकाल मृत्यु से बचने के लिए लोग महाकालेश्वर की पूजा करते हैं। महाकाल से जुड़ी एक कहानी है, जिसमें कहा गया कि एक बार चंद्रसेन नामक एक राजा था जिसने उज्जैन पर शासन किया था और वह शिव भक्त था। भगवान अपने महाकाल रूप में प्रकट हुए और राजा के शत्रुओं का नाश किया। अपने भक्तों के अनुरोध पर शिव उज्जैन में निवास करने लगे और यहां के प्रमुख देवता बनने के लिए सहमत हुए।
महाकाल मंदिर का उल्लेख कई प्राचीन भारतीय काव्य ग्रंथों में मिलता है। चौथी शताब्दी में रचित मेघदूतम के प्रारंभिक भाग में कालिदास ने महाकाल मंदिर का विवरण देते हुए कहा है कि यह एक पत्थर की नींव के साथ लकड़ी के खंभों पर छत के साथ वर्णित है। गुप्त काल से पहले मंदिरों पर कोई शिखर नहीं होता था।
महाकाल के अलावा, गुजरात में सोमनाथ और नागेश्वर, आंध्र प्रदेश में मल्लिकार्जुन, मध्य प्रदेश में ओंकारेश्वर, उत्तराखंड में केदारनाथ, महाराष्ट्र में भीमाशंकर, त्र्यंबकेश्वर और घृष्णेश्वर, वाराणसी में विश्वनाथ, झारखंड में बैद्यनाथ और तमिलनाडु में रामेश्वर ज्योतिर्लिंग हैं।