मद्रास हाई कोर्ट ने सोमवार को एकल जज के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें राज्य के हिंदू धार्मिक एवं कल्याणार्थ दान (एचआर एंड सीइ) विभाग के तहत आए मंदिरों में श्रद्धालुओं और अन्य आगंतुकों के लिए एक ड्रेस कोड बनाने के लिए कहा गया था। न्यायाधीश वी रामसुब्रमण्यम और न्यायाधीश एन किरूबाकरण ने एचआर एंड सीई विभाग और दक्षिणी जिला महिला संघ की जी सारिका की अपील विचारार्थ स्वीकार करते हुए आदेश पर रोक लगा दी। इस मामले में यह दूसरी अपील है।
राज्य सरकार ने इससे पहले एकल जज के इस आदेश को कई आधारों पर चुनौती दी थी। इनमें से एक आधार मंदिर जाने वालों को ड्रेस कोड मानने के लिए विवश करने के औचित्य का था। उस अपील में कहा गया था कि अलग-अलग मंदिर अपने रिवाजों के अनुरूप अलग-अलग ड्रेस कोड बनाने के लिए स्वतंत्र हैं।
अपनी अपील में सारिका ने दावा किया था कि ड्रेस कोड किसी व्यक्ति के अपनी मर्जी के कपड़े पहनने के अधिकार का उल्लंघन है। एकल जज के आदेश को ‘बेहद भेदभावपूर्ण’ बताते हुए अपीलकर्ता ने दावा किया था कि जज द्वारा लगाए गए प्रतिबंध मौलिक अधिकारों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों के मौलिक अधिकारों, के खिलाफ हैं।’
तिरूचिरापल्ली जिले में मंदिर के एक समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए अनुमति मांगने वाली याचिका का निपटान करते हुए न्यायाधीश एस विद्यानाथन ने 26 नवंबर को यह आदेश दिया था कि एक जनवरी से मंदिर जाने वाले पुरुषों को ऊपरी वस्त्रों के साथ धोती, पजामा या पैंट पहननी होगी और महिलाओं को ब्लाउज के साथ साड़ी, आधी साड़ी या ऊपरी कपड़े के साथ चूड़ीदार पहनना होगा।’ जज ने यह भी कहा था कि बच्चे ‘पूरी तरह ढंकने वाले किसी भी परिधान में जा सकते हैं।’