मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में एक किसान ने बैंक में आत्महत्या का प्रयास किया है। शनिवार को बैंक पहुंचा किसान इस बात से क्षुब्ध था कि नौ दिन पहले चेक लगाए जाने के बावजूद अब तक रुपए उसके खाते में क्रेडिट नहीं हुए थे। उसे मां का इलाज कराने के लिए रुपयों की जरूरत थी। पुलिस के अनुसार, घटना जिले के नारायणगढ़ कस्बे में हुई जहां 45 वर्षीय राधेश्याम प्रजापति ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की एक शाखा में जहरीला पदार्थ खा लिया। टीआेआई रिपोर्ट के अनुसार, किसान ने बैंक में हंगामा किया और सबके सामने जगह पी लिया। उसके बाद उसे पास के ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां से जिला अस्पताल रेफर किया गया है। पुलिस का कहना है कि उसकी हालात खतरे से बाहर है। राधेश्याम ने पुलिस को बताया कि उसने 8 दिसंबर को अपने खाते में 25,141 रुपए का चेक लगाया था। वह चेक उसे अपनी सोयाबीन की फसल बेचकर मिला था।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि किसान को मां के इलाज के लिए रुपयों की जरूरत थी, इस वजह से वह बैंक गया था। करीब तीन घंटे लाइन में लगने के बाद जब उसका नंबर आया तो कैशियर ने कहा कि उसके खाते में रुपए ही नहीं है। जिसके बाद राधेश्याम बैंक मैनेजर के पास पहुंचा। मैनेजर से बहस के बाद राधेश्याम ने जहर पी लिया। वह पहले से ही कीटनाशक लेकर बैंक आया था। रिपोर्ट्स के अनुसार, राधेश्याम के आत्महत्या का प्रयास करने के बाद बैंक अधिकारियों ने रुपए निकालकर उसकी भतीजी को दे दिए।
इस बारे में बैंक मैनेजर ने पुलिस से कहा कि आमतौर पर 2-3 दिन में चेक क्लियर हो जाता है। लेकिन नोटबंदी के बाद से, जमा होने वाले चेकों की संख्या खासी बढ़ गई है। इस वजह से क्लियरिंग में टाइम लगा।
केंद्र सरकार द्वारा 8 नवंबर को नोटबंदी के ऐलान के बाद से बैंकों और एटीएम के बाहर लंबी-लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं। कैश की कमी है, ऐसे में हर दिन बड़ी संख्या में बैंक पहुंचने वालों को मायूसी हाथ लगती है। मगर, नोटबंदी से चेक क्लियरेंस पर पड़े प्रभाव की वजह से किसी ने ऐसा खतरनाक कदम उठाया हो, ऐसी घटना पहली बार हुई है।

