मध्य प्रदेश के धार जिला जेल में 16 दिन से बंद नर्मदा बचाओ आंदोलन की कार्यकर्ता मेधा पाटकर गुरुवार (24 अगस्त) को रिहा हो गई है। उन्हें बुधवार को उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ से जमानत मिल गई थी। नर्मदा बचाओ आंदोलन से संबद्घ कार्यकर्ता अमूल्य निधि ने बताया कि उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद बुधवार को आदेश धार जिला जेल तक नहीं पहुंच पाया, जिससे रिहाई नहीं हो सकी। गुरुवार को उच्च न्यायालय के जमानत के आदेश को कुक्षी के अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व (एसडीएम) के समक्ष प्रस्तुत किया, उनके निर्देश पर धार जिला जेल से मेधा पाटकर रिहा हो गईं।

ज्ञात हो कि सरदार सरोवर बांध की उंचाई बढ़ाए जाने से डूब में आने वाले नर्मदा घाटी के 192 गांव और एक नगर के 40 हजार परिवारों के बेहतर पुनर्वास और उसके बाद विस्थापन की मांग को लेकर उपवास कर रही थीं, जहां से उन्हें सात अगस्त को पुलिस ने जबरन उठाकर इंदौर के अस्पताल में भर्ती कराया। नौ अगस्त को अस्पताल से छुटटी मिलने के बाद जब वे बड़वानी जा रही थीं, तभी रास्ते में धार जिले के कुक्षी क्षेत्र में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और चार प्रकरण दर्ज किए, जिसमें अपहरण जैसा गंभीर मामला भी शामिल था। बताया गया कि मेधा पाटकर पर चार मुकदमे दर्ज किए गए थे, जिसमें से कुक्षी तथा धार जिला न्यायालय ने तीन मामलों में जमानत दे दी थी, लेकिन चौथे प्रकरण धारा 365 (अपहरण) का था, जिसे खारिज कर दिया था। इस मामले में बुधवार को इंदौर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश वेद प्रकाश शर्मा की पीठ ने उन्हें जमानत दे दी।

सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाए जाने से डूब में आने वाले नर्मदा घाटी के 40 हजार परिवारों के उचित पुनर्वास की मांग को लेकर अनशन करने वाली नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर सहित तीन अन्य को फर्जी मुकदमे दर्ज कर जेल में बंद कर दिया गया था। इसके बाद देशभर के संगठनों से मध्यप्रदेश सरकार के दमन के खिलाफ आंदोलन करने का आह्वान किया। आंदोलनकारियों ने शिवराज सरकार के खिलाफ एक विज्ञप्ति भी जारी किया। जिसमें उन्होंने लिखा- मेधा पाटकर, शंटू, विजय और धुरजी भाई राज्य सरकार के दमन का शिकार हो रहे हैं। पहले सात अगस्त को मेधा पाटकर और अन्य विस्थापितों को जबरन अस्पताल में भर्ती कर गैरकानूनी रूप से नजरबंद किया गया, फिर भारी पुलिस बल का चिखल्दा धरना स्थल पर हमला और मेधा पाटकर पर झूठे प्रकरण लगाकर गिरफ्तारी की गई।