मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रदेश के शहडोल लोकसभा क्षेत्र के भाजपा सांसद ज्ञान सिंह का निर्वाचन अमान्य ठहरा दिया है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अतुल श्रीधरण की एकल पीठ ने शहडोल से भाजपा के सांसद ज्ञान सिंह का निर्वाचन अमान्य ठहरा दिया है। महावीर प्रसाद मांझी की चुनाव याचिका पर सुरक्षित रखे फैसले को एकल पीठ ने शुक्रवार को सार्वजनिक करते हुए उक्त आदेश जारी किये।
मालूम हो कि मांझी, ने लोकसभा चुनाव में शहडोल संसदीय क्षेत्र से नामांकन पत्र भरा था। एकल पीठ ने चुनाव अधिकारी द्वारा मांझी के जाति प्रमाण-पत्र को गलत बताते हुए नामांकन-पत्र निरस्त किये जाने को अवैधानिक करार दिया है। एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि जाति प्रमाण की जांच का अधिकार जनजाति विभाग की उच्चस्तरीय छानबीन कमेटी को है।
याचिकाकर्ता मांझी की तरफ से चुनाव याचिका में वर्ष 2016 में शहडोल लोकसभा के उपचुनाव को चुनौती दी गयी थी। याचिका में कहा गया था कि उन्होंने भी उपचुनाव लड़ने के लिए नामांकन दाखिल किया था। नामांकन के साथ पेश किए गए जाति प्रमाण पत्र पर भाजपा प्रत्याशी ज्ञान सिंह ने आपत्ति जताई थी। ज्ञान सिंह की आपत्ति पर चुनाव अधिकारी ने जाति प्रमाण पत्र को फर्जी मानते हुए मांझी का नामांकन निरस्त कर दिया था। चुनाव अधिकारी का तर्क था कि जाति प्रमाण पत्र नायाब तहसीलदार ने जारी किया है जबकि जाति प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार एसडीएम व कलेक्टर को है। मांझी के अधिवक्ता अंकित सक्सेना ने बताया कि नामांकन निरस्त किये जाने को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।
सुनवाई के दौरान एकल पीठ को बताया गया कि याचिकाकर्ता का जाति प्रमाण पत्र वर्ष 1991 में बना है जबकि एसडीएम व कलेक्टर द्वारा जाति प्रमाण जारी करने की अनिवार्यता वर्ष 2005 से लागू हुई है। इसके पूर्व तहसीलदार तथा नायाब तहसीलदार जाति प्रमाण-पत्र जारी कर सकते थे। एकल पीठ को यह भी बताया गया कि चुनाव अधिकारी को यह अधिकार नहीं है वह किसी के जाति प्रमाण पत्र को गलत करार दे सकें। जनजाति विभाग की उच्चस्तरीय छानबीन कमेटी को जाति प्रमाण पत्र की जांच करने का अधिकार है।