मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार ने मंत्रियों को किसी भी बात का जवाब देने के दौरान कुछ शब्दावली का उपयोग करने से बचने की हिदायत दी है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, एक सर्कुलर जारी कर सरकार ने 34 उदाहरणों को भी सूचीबद्ध किया है, जिनसे मंत्रियों को उनके उत्तरों की संरचना करने में मदद मिलेगी। इस सर्कुलर के मुताबिक मध्य प्रदेश सरकार मंत्रियों को ‘जांच की जाएगी, देखूंगा’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल न करने की हिदायत दे रही है।

एक महीने पहले जारी किए गए मध्य प्रदेश सरकार के आदेशानुसार, उचित शब्दों का इस्तेमाल करने से उन सवालों में कमी आएगी जो कि शासन द्वारा दिए गए आश्वासन लगते हैं। मंत्रियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे, कोई भी वादा न करें और जांच करेंगे, मुद्दे पर विचार किया जाएगा, मैं देखूंगा, मैं केंद्र को लिखूंगा, मैं देखूंगा क्या कर सकता हूं, समय पर कार्रवाई की जाएगी, मैं इस बारे में सोचता हूं, जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने से बचें। इसके साथ ही यह निर्देश भी दिया गया है कि इन बातों का ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हुए और ई-मेल का जवाब देते हुए भी इस प्रकार के जवाब देते समय ध्यान रखना होगा।

इस मामले पर बात करते हुए संसदीय मामलों के मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, “इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि ऐसा कुछ भी न कहा जाए जो संसद के द्वारा दिया गया आश्वासन लगे।” वहीं इस मामले पर विपक्ष के नेता अजय सिंह का कहना है कि यह सत्ताधारी पार्टी द्वारा विधानसभा को कमजोर करने का एक प्रयास है। अजय सिंह ने कहा कि यह आदेश सदन की मौलिक भावना को नुकसान पहुंचाता है। रिपोर्ट के अनुसार, अजय सिंह ने कहा, “वे लोकतांत्रिक संस्थानों को प्रतिबंधित करने की कोशिश कर रहे हैं। इसके परिणाम यह होगा कि कोई भी विधायक ट्रेज़र बेंच से उचित उत्तर प्राप्त नहीं कर पाएगा जो कि बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।” विपक्ष की इस अलोचना का जवाब देते हुए नरोत्तम मिश्रा ने कहा, “हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक नहीं लगा रहे हैं। बहुत ही आश्चर्य की बात है कि जिन्होंने इमरजेंसी लगाई थी आज वे अभिव्यक्ति की आजादी की बात कर रहे हैं। बीजेपी ऐसा सोच भी नहीं सकती है।”