मध्य प्रदेश के अस्पताल में एक बार फिर लापरवाही का मामला उजागर हुआ है। छतरपुर के जिला अस्पताल में मरीज लाश के बीच रहने को मजबूर हैं। दो दिन पहले एक मरीज की मौत हो जाने के बाद भी अस्पताल प्रशासन लाश को वहां से हटवा न सका। इस वजह से वो सड़ने लगा है और आस-पास के मरीजों को बदबू की वजह से सांस लेना दूभर हो गया। मरीजों पर इन्फेक्शन का भी खतरा मंडराने लगा। बाद में मीडिया के हस्तक्षेप के बाद आखिरकार 24-26 घंटे बाद अस्पताल प्रशासन ने वहां से लाश हटवाई तो मरीजों को चैन आया। यह घटना इंसानियत को झकझोरने वाला है। जिस वार्ड में लाश पड़ी थी वहां करीब 10-12 मरीज भर्ती थे। उनके साथ उनके परिजन भी थे।
दरअसल, छतरपुर जिला अस्पताल के सर्जिकल वार्ड के बेड नंबर 42 पर कुछ दिनों पहले स्वरूप कुशवाहा नाम के मरीज को भर्ती किया गया था। उसके पैरों में घाव होने की वजह से इन्फेक्शन हो गया था, इसका इलाज कराने के लिए कुशवाहा को सीनियर सिटीजन के लिए आरक्षित बेड पर भर्ती किया गया था लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मरीज की मौत के बाद वार्ड ब्वॉय आमतौर पर लाश को या तो लाश घर ले जाता है या कानूनी और डॉक्टरी प्रक्रिया पूरी करने के बाद उसके परिजनों को सौंप दिया जाता है मगर कुशवाहा का शरीर वहीं पड़ा रहा, वह भी खुला। लाश का आधा हिस्सा बेड पर था तो आधा बेड से झूल रहा था।
जब लाश सड़ने लगी और वार्ड में बदबू फैलने लगी तो वार्ड में भर्ती अन्य मरीजों और उनके परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन से इसकी शिकायत की। बावजूद इसके वहां से लाश नहीं हटाई जा सकी। आखिरकार जब बात मीडिया में आई तब लाश को वहां से हटाया गया। हालांकि, जब मीडियाकर्मियों ने इस बावत अस्पताल के अधिकारियों से बात करनी चाही तो कैमरे पर आने से इनकार कर दिया और अपना पल्ला झाड़ लिया। बहरहाल, 24-26 घंटे की देरी से वार्ड से लाश को हटा दिया गया है।
कुछ दिनों पहले छतरपुर में डॉक्टरी लापरवाही का एक और मामला सामने आया था। डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से पहले तो एक प्रसूता की डिलीवरी उचित देखभाल में नहीं हुई, उसे बेहतर इलाज भी नहीं मिला फिर उसे बिना मेडिकल जांच के मृत घोषित कर दिया गया था। जब परिजनों ने लाश को घर पर लाया और उसके अंतिम संस्कार की तैयारियों में जुट गए तो देखा कि लाश में हलचल हो रही थी। इसके तुरंत बाद लोगों ने सरकारी एम्बुलेंस में मरीज को लेकर जिला अस्पताल की और चल पड़े लेकिन एम्बुलेंस में ऑक्सीजन नहीं होने की वजह से बीच रास्ते में ही मरीज ने दम तोड़ दिया था।