मध्य प्रदेश में अगर कांग्रेस बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और गोंडवाणा गणतंत्र पार्टी से चुनाव पूर्व गठबंधन करती है तो उसे करीब 70 सीटों पर विशेष तौर पर फायदा हो सकता है, जहां पिछले चुनाव में हार जीत का अंतर 10 हजार वोटों के आस पास रहा है। साल 2013 के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने 230 सदस्यों वाली विधान सभा में 58 सीटें जीती थीं जबकि बीएसपी चार सीट जीत पाई थी। हालांकि 10 सीटें ऐसी थी जहां बीएसपी दूसरे नंबर पर थी। इसके अलावा 62 सीटें ऐसी थीं जहां बीएसपी ने 10,000 वोट हासिल किए थे। इनमें से 17 सीटों पर 20 हजार से ज्यादा वोट बीएसपी को मिले थे। बीजेपी को कुल 165 सीटें मिली थीं।

मध्य प्रदेश के राजनीतिक नक्शे को गौर से देखें तो बीएसपी उत्तर प्रदेश से सटे जिलों मुरैना, भिंड, दतिया, शिवपुरी, शिवपुर, ग्वालियर, अशोकनगर, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, सतना, रीवा, सीधी, सिंगरौली समेत करीब 14 जिलों में मायावती की अच्छी पकड़ रही है। गोंडवाणा गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) 2013 और 2008 के चुनावों में कोई सीट तो नहीं जीत सकी लेकिन राज्य के आदिवासी वोट बैंक पर उसकी अच्छी पकड़ रही है। यही वजह है कि 2013 में 10 सीटों पर जीजीपी 10,000 से ज्यादा वोट हासिल करने में कामयाब रही। जीजीपी ने डिंडोरी, बिछिया, निवास, केवलारी, जैतपुर, ब्योहारी, जयसिंहनगर, शाहपुरा, लखनादौन और पुष्पराजगढ़ सीटों पर 10,000 से ज्यादा वोट हासिल किए। ऐसे में बसपा और जीजीपी से दोस्ती करने पर कांग्रेस गठबंधन की जीत का आंकड़ा 140-150 के पास पहुंच सकता है जो बहुमत के आंकड़े से ज्यादा है।

जीजीपी से दोस्ती नहीं होने की सूरत में अकेले हाथी और हाथ के गठजोड़ से भी बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं क्योंकि बसपा को साल 2013 के चुनाव में कुल 6.29 फीसदी वोट मिले थे। इससे पांच साल पहले यानी 2008 में बसपा ने कुल सात सीटों पर जीत दर्ज की थी और कुल 8.97 फीसदी वोट पाए थे। कांग्रेस को 2013 में बीजेपी से 8 फीसदी और 2013 में 5 फीसदी कम वोट मिले थे। यानी यह अंतर दोस्ती से न केवल खत्म हो सकता है बल्कि इसका असर सीटों के अंकगणित पर भी पड़ सकता है।

मध्य प्रदेश में बीजेपी जहां शिवराज सिंह चौहान सरकार के कामकाज के आधार पर सत्ता में वापसी के दावे कर रही है वहीं कांग्रेस को लगता है कि शिवराज सरकार के खिलाफ जनता में जबर्दस्त एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर हावी है, इसलिए 15 साल का बीजेपी राज इस बार समाप्त हो जाएगा। इसी सिलसिले में पार्टी समान विचारधारा वाले दलों से चुनाव पूर्व गठबंधन पर भी विचार कर रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस बाबत चुनावी राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों और प्रभारियों के साथ बैठक की है और 15 दिनों के अंदर गठबंधन के स्वरूप पर डिटेल रिपोर्ट तलब किया है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधान सभा चुनाव होने में अब पांच महीने ही रह गए हैं।