इरम सिद्दीकी।

मध्य प्रदेश में हिंसाग्रस्त खरगोन के संजय नगर इलाके में रविवार शाम को सुमित चंडोक के घर से लगभग 500 मीटर की दूरी पर स्थित सादिक खान के घर पर उत्तेजित भीड़ पथराव कर रही थी। इसी बीच, सादिक ने अपने दोस्त सुमित को रोते हुए फोन किया और मदद मांगी। इसके बाद सुमित ने तुरंत अपने भाई को सादिक और उसके परिवार की मदद के लिए भेजा। हिंसक भीड़ पथराव करने के साथ ही सादिक के घर को आग के हवाले कर चुकी थी।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस भयावह मंजर के बारे में सुमित ने बताया, “जब तक मेरा भाई वहां पहुंचा, तब तक दंगाइयों ने सादिक के घर को आग के हवाले कर दिया था। अमित आनन-फानन में उनके बच्चों को संजय नगर के अंदर उनके रिश्तेदारों के घर ले गया, इसके बाद वापस आकर उस बाइक को हटाने की कोशिश करने लगा जिसे दंगाइयों ने आग लगाने की कोशिश की थी। सादिक के परिवार को बचाने की कोशिश में अमित को भी दंगाइयों ने पीटा।”

सांप्रदायिक दंगों की जहरीली आग के बीच, आज चंडोक और सादिक खान की कहानी उम्मीद की एक किरण के रूप में नजर आती है। चंडोक ने बताया, “मैंने अपने भाई को भेजने से पहले एक बार भी नहीं सोचा क्योंकि जब मेरा नेक्रोसिस का ऑपरेशन चल रहा था, सादिक मेरे साथ था। एक प्राइवेट अस्पताल में सादिक खान के साथ काम करने वाले चंडोक ने कहा कि जरूरत की घड़ी में उसकी मदद करना ठीक लगा।

सादिक का परिवार न केवल बेघर हुआ, बल्कि हिंसा के बाद हुई आगजनी में उसका सबकुछ तबाह हो गया। सादिक के भाई दिलावर ने बताया, “यह सब पथराव से शुरू हुआ। ‘ये खान का घर है, फोड़ो’, घर के बाहर दीवार पर लिखा नाम पढ़ने के बाद हमने भीड़ को यह कहते हुए सुना।” दिलावर ने आगे बताया, “हमारे पास उस मोटरसाइकिल के अलावा कुछ नहीं बचा है जिसे अमित ने आग के हवाले होने से बचाया था। अमित ने हमारे बच्चों के साथ हमारी मदद की और इस दौरान अमित पर भी हमला हो गया।”

पुलिस ने खरगोन हिंसा में अब तक 33 एफआईआर दर्ज करने के बाद 121 लोगों को गिरफ्तार किया है। इस बीच, जिला प्रशासन ने संजय नगर सहित रामनवमी के जुलूस के दौरान हुई झड़पों वाले चार इलाकों में 16 घरों और 34 दुकानों को ध्वस्त कर दिया है।