भोपाल केंद्रीय कारागार से भागने के बाद सिमी के आठ विचाराधीन कैदियों को मार गिराये जाने की घटना की कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने एक न्यायिक जांच कराये जाने की आज मांग की। कांग्रेस और माकपा ने एक न्यायिक जांच की मांग की है ताकि लोग सच्चाई जान सके। वहीं भाजपा ने प्रतिबंधित संगठन सिमी के कथित कार्यकताओं के समर्थन में उतरने को लेकर कांग्रेस पर सवाल खड़े किए और उस पर घटना को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया। मध्य प्रदेश से लोकसभा सदस्य एवं कांग्रेस नेता कमल नाथ ने कहा, ‘मैं एक न्यायिक जांच की मांग कर रहा हूं क्योंकि यहां तक कि सरकार को भी अवश्य जानना चाहिए कि किन परिस्थितियों में वे लोग भागे थे। राज्य एवं देश के लोगों को अवश्य जानना चाहिए कि ऐसे रिकॉर्ड वाले आतंकवादी एक सख्त सुरक्षा वाली जेल से कैसे भागने में सक्षम हुए और कुछ घंटों में पकड़ लिए गए और मार गिराये गए।’
भोपाल जेल से भागे सिमी के सभी 8 आतंकी मुठभेड़ में ढेर
हालांकि, उनकी पार्टी के सहकर्मी नेता मनीष तिवारी ने कहा कि इस मुद्दे पर और अधिक ब्योरा आने पर वह टिप्पणी करेंगे क्योंकि हालात अभी उभर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘अभी हालात उभर रहे हैं। पुलिस को और ब्योरा के साथ आने दीजिए कि क्या हुआ है। हम ब्योरे का इंतजार करेंगे। अधिक ब्योरे का इंतजार करना कहीं बेहतर होगा।’ माकपा की वृंदा करात ने घटना के आधिकारिक बयान को अत्यधिक संदिग्ध बताया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार और पुलिस के बयान विरोधाभासी हैं। उन्होंने कहा, ‘इसलिए सच्चाई का पता लगाने के लिए यह जरूरी है कि उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश के तहत एक स्वतंत्र जांच हो और यह समयबद्ध हो क्योंकि अत्यधिक मनगढ़ंत लगने वाले बयान पर कोई भी यकीन करता नहीं दिख रहा।’ उन्होंने कहा कि जो लोग मारे गए वे विचाराधीन कैदी थे और उन्हें आतंकवादी बताना कानून की अवहेलना है।
वहीं, पुलिस कार्रवाई के समर्थन में उतरते हुए भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने कांग्रेस पर सिमी से जुड़े आतंकवादियें की इस तरह से हिमायत करने का आरोप लगाया जैसा कि इसने अतीत में लश्कर ए तैयबा के लिए किया था। उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि क्यों कांग्रेस ऐसे लोगों के लिए बोलना चाहती है। मुठभेड़ को राजनीतिक रंग देना निश्चित तौर पर एक अच्छी चीज नहीं है। लेकिन कांग्रेस पार्टी लंबे समय से ऐसा कर रही है।’’
