जैसे-जैसे भ्रष्ट अफसरों पर नकेल कसने की कोशिशें हो रही हैं, वैसे-वैसे रिश्वत लेने के तौर तरीकों में भी बदलाव आ रहा है। अफसर अब सीधे तौर पर घूस न लेकर किसी के माध्यम से घूस लेने लगे हैं। ताजा मामला मध्य प्रदेश के मालवा जिले का है जहां कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी दीपक परमार के अपने क्लर्क रामकिशन द्वारा रिश्वत लेने की बात सामने आई है। दरअसल, अधिकारियों को थम्ब पंचिंग मशीन के डाटा को ठीक करने के लिए 45 हजार रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में लोकायुक्त अधिकारियों ने गिरफ्तार किया है। इस मामले में लोकायुक्त पुलिस निरीक्षक बसंत श्रीवास्तव ने कहा कि नलखेड़ा में रहने वाले लक्ष्मण सिंह ने कनिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। लक्ष्मण ने अपनी शिकायत में कहा था कि कनिष्ठ अधिकारी दीपक परमार ने उससे डाटा की गड़बड़ी को दूर करने और पीओएस मशीन का संचालन फिर से शुरू करने के लिए 75 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी। लक्ष्मण ने एक साथ इतने रुपए का इंतजाम न कर पाने की बात अधिकारियों से कही तो वे अपने फैसले पर अड़े रहे। काफी देर तक अधिकारियों को मनाने के बाद इस सौदे को 45 हजार रुपए में तय किया गया। जैसे ही सौदा तय हुआ लक्ष्मण ने इसकी सूचना लोकायुक्त को दे दी।
इसके बाद लोकायुक्त अधिकारियों ने दीपक परमार को रंग-हाथ पकड़ने की योजाना बनाई। गुरुवार को लक्ष्मण तय समय के अनुसार दीपक परमार के कार्यालय में पैसे लेकर पहुंचा गया। जैसे ही वह कार्यालय में पहुंचा तो दीपक परमार की जगह क्लर्क रामकिशन ने लक्ष्मण से पैसे लिए। इसके बाद जैसे ही रामकिशन ने पैसे लेकर दीपक परमार को दिए तो लोकायुक्त पुलिस ने दोनों को रंगे-हाथ गिरफ्तार कर लिया। लोकायुक्त अधिकारियों ने कनिष्ठ अधिकारी दीपक परमार और क्लर्क रामकिशन के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। काफी देर तक पूछताछ करने के बाद दोनों को निजी जुर्माने पर छोड़ दिया गया।
आपको बता दें कि आए दिन देश में भ्रष्टाचार के मामले सामने आते रहते हैं। पिछले महीने जर्मनी में बर्लिन की भ्रष्टाचार आकलन एवं निगरानी संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने भ्रष्टाचार के मामले में भारत को 76वें स्थान पर जगह दी थी। इस संस्था द्वारा दुनिया के कुल 176 देशों की सूची तैयार की गई थी।

