मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नायसमंद गांव में आरक्षित समूह के साथ सामाजिक बहिष्कार का मामला सामने आया है। यहां उन जगहों पर आरक्षित जाति के लोगों का जाना मना है, जहां उच्च वर्ग के लोग जाते हैं। यही नहीं आरक्षित वर्ग (दलितों) को बाल कटवाने की दुकान, चाय की दुकान और होटल पर भी जाना मना है, क्योंकि ऐसे होने पर वह वही चीजें इस्तेमाल करेंगे जो ऊंची जाति के लोग यूज करते हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक गांव में रहने वाले लाल सिंह अहिरवार ने बताया कि हमें कहा गया है कि हम लोवर कास्ट से आते हैं इसलिए हम वो रेजर और कुर्सी इस्तेमाल नहीं कर सकते जिनका उपयोग अपर कास्ट (उच्च जाति) के लोग करते हैं। हमारी जाति पिछले तीन महीने से सामाजिक बहिष्कार का सामना कर रही है। लोगों ने इस बात की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई लेकिन उन्होंने कुछ भी करने से इंकार कर दिया। जिसके बाद उन्होंने दिसंबर 2015 में सीएम हेल्पलाइन के जरिए अपनी फरियाद पहुंचाई और इसका जवाब उन्हें करीब एक साल बाद नवंबर 2016 में मिला।
स्थानीय नागरिक जगन्नाथ अहिरवार का कहना है कि यह सब नवबंर 2015 में शुरू हुआ जब अहिरवार जाति के कुछ लोगों को स्थानीय बार्बर ने जाति के आधार पर बाल काटने से इंकार कर दिया। नाई ने आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करते हुए दुकान से निकल जाने को कहा। लाल सिंह ने बताया कि नवंबर 2016 में हमें पुलिस थाने बुलाया गया। पुलिस ने नाई को भी बुलाया और भेदभाव न करने को कहा।
दिसंबर 2016 में नायसमंद समेत अन्य गांवों में रहने वालों के लिए पंचायत बुलाई गई। पंचायत ने कथित तौर पर फैसला सुनाया कि अहिरवार समुदाय के सदस्यों को ऐसे किसी भी जगह प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी जहां ऊंची जाति के सदस्यों और अन्य समुदायों के लोग जाते हो। अहिरवार समाज के बुजुर्ग शख्स का कहना है कि हमारे साथ ऐसा इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि हम निम्न जाति से ताल्लुक रखते हैं। हमारे बच्चों को उच्च जाति के बच्चों के साथ स्कूल में बैठने की मंजूरी नहीं है।
वहीं, बेरसिया के एसडीएम में टीओआई को बताया कि यह भेदभाव का मामला नहीं है। अहिरवार समुदाय के कुछ लोग समस्या खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। शांति बनाए रखने के लिए ऐसे लोगों को गिरफ्तार करने की जरुरत है। वहीं स्थानीय विधायक विष्णु खत्री का कहना है कि गांव में छुआछूत का कोई भी मामला नहीं है। हां, दूसरे जाति के लोगों के साथ खाने-पीने को लेकर कुछ मान्यताएं हैं। इसे बदला नहीं जा सकता है, कुछ लोग राजनीतिक लाभ के लिए जाति का उपयोग कर रहे हैं।

