भोपाल के हमीदिया अस्पताल में बिजली जाने की वजह से एक बड़ा हादसा हो गया। यहां बिजली चली जाने के बाद वेंटिलेटर सपोर्ट वाले कोरोना के तीन मरीजों की मौत हो गई। बिजली जाने के कुछ देर बाद ही वेंटिलेटर बंद हो गए। यह अस्पताल 100 साल पुराना है। इसके बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि जो भी दोषी होगा उसे बख्शा नहीं जाएगा। इस मामले में मेंटिनेंस इंजिनियर को बर्खास्त कर दिया गया है। सीएम ने जांच के आदेश दिए हैं।
जानकारी के मुताबिक जब बिजली गई, वेंटिलेटर पर चार मरीज थे। डॉक्टरों ने अंबू बैग से ऑक्सीजन देनी शुरू की लेकिन मरीजों की हालत खऱाब होने लगी। सीएम शिवराज ने मामले की जांच कमिशन्र के अंडर में करने के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने इसे बड़ी लापरवाही बताते हुए न्याय दिलाने की बात कही है। उन्होंने शाम तक ही इसकी रिपोर्ट मांगी है।
लोगों ने बताया कि हमीदिया अस्पताल में सुबह के समय लाइट चली गई। जनरेटर चलाया गया लेकिन 10 मिनट बाद वह भी बंद हो गया। इसके बाद तीन मरीजों की जान चली गई। डीन को भी इस मामले में नोटिस भेजा गया है। हालांकि हमीदिया अस्पताल के प्रशासन ने कहा है कि लाइट जाने की वजह से हादसा नहीं हुआ है।
बताया गया कि बिजली कटने के बाद जनरेटर चला लेकिन एयर लेने की वजह से 10 मिनट में बंद हो गया। बिजली जाने के बाद आईसीयू में चीख पुकार मच गई। कोविड वॉर्ड में 11 मरीज थे। इनमें से चार वेंटिलेटर पर थे और बाकी ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे। जब स्थिति बिगड़ने लगे तो डॉक्टरों ने अंबू बैग से ऑक्सीजन देना शुरू कर दिया। रात 10 बजे के करीब एक मरीज की मौत हो गई और बाद में दो अन्य ने दम तोड़ दिया। चार में से केवल एक मरीज को भी बचाया जा सका।
अस्पताल के कर्मचारियों ने बताया कि बिजली जाने के बाद मोबाइल की लाइट में मरीजों का इलाज किया जाने लगा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। मामले में पीडब्ल्यूडी पर सवाल उठते हैं। इतने बड़े अस्पताल में जनरेटर दुरुस्त न होना ऐक बड़ी खामी थी। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि जनरेटर अचानक खराब हो गया था।

