मध्य प्रदेश में चुनावी सरगर्मियां तेज हैं। सभी दल जोर आजमाइश में हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जनता का आशिर्वाद पाने की पूरी उम्मीद में हैं। लेकिन बीते 13 साल से सीएम शिवराज जिस योजना पर पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं वही उनके लिए खतरे की घंटी बजा रही है। दरअसल शिवराज सिंह ने राज्य के आदिवासी-वर्चस्व वाले निर्वाचन क्षेत्रों में पैसा खूब खर्च कर कोशिश में लगे रहे कि उन्हें जीता जा सके। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
डिंडोरी जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर बसे टिकरिया गांव की बैगा जनजाति प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिले मकानों से खुश नहीं है। उन्होंने इस योजना के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा, यहां के घर कंक्रीट से बने हैं। जो गर्मियों में अधिक गर्म और ठंडियों में अधिक ठन्डे रहते हैं। इसलिए सभी स्थानीय लोग अपने पारम्परिक मिटटी के घरों में रहना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने इन घरों में ग्राम प्रधान, सुकारोबई और उनके डिप्टी फुलोबाई रहने ही नहीं आए। इस पर फुलोबाई का कहना है कि, ‘यह घर छोटे हैं जबकि हमारा परिवार बड़ा है। हम इनमें नहीं रह सकते।’ कई लोग आवास योजना में मिले घरों का इस्तेमाल जानवरों का चारा रखने के लिए कर रहे हैं।
फूलोबाई घर का उपयोग न करने के अन्य कारणों को सूचीबद्ध करते हुए कहती हैं कि अगर हम आवास योजना के घरों में रहने जाते हैं, तो हमे शौचालय के लिए पानी कहाँ से मिलेगा, हमे पीने के लिए भी पानी कहीं दूसरी जगह से भरकर लाना पड़ता है।
गौरतलब है कि, बैगा जनजाति राज्य की में सबसे पिछड़ी जनजाति मानी जाती है। आपको बता दें कि लगभग एक लाख तीस हज़ार बैगा जनजाति के लोग राज्य के 6 जिलों डिंडोरी, मंडला, शाहडोल, उमरिया, अनुपपुर और बालाघाट में रहते हैं।