मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार के दौर से चली आ रही सचिवालय के बाहर हर महीने के पहले दिन वंदे मातरम गाने की परंपरा अब टूट गई। कांग्रेस की नई सरकार के बाद यह पहला मौका था जब महीने की शुरुआत हुई है। भाजपा नेताओं ने कांग्रेस पर वंदे मातरम पर रोक लगाने का आरोप लगाया है। हालांकि कांग्रेस  सरकार की तरफ से इस संबंध में कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। सरकार के कानून मंत्री पीसी शर्मा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘आज परंपरा के मुताबिक महीने के पहले दिन सचिवालय के बाहर वंदे मातरम नहीं गाया गया। वंदे मातरम का कांग्रेस और देश से संबंध है। इसे नहीं गाने का कोई सवाल ही नहीं है। हम इसका कारण जानेंगे और गलती सुधारेंगे।’

भाजपा ने मानसिकता पर उठाए सवालः वंदे मातरम न गाए जाने पर भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस को निशाने पर लिया है। वरिष्ठ भाजपा नेता उमाशंकर गुप्ता ने कहा, ‘जिस वंदे मातरम को लेकर आजादी की लड़ाई लड़ी गई उससे कांग्रेस को परहेज है तो मानसिकता समझ लीजिये। उन्होंने कहा कि नकारात्मक भावना से राजनीतिक द्वेष की शुरुआत कर कांग्रेस अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रही है।’

शिवराज ने शुरू की थी यह परंपराः उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस परंपरा की शुरुआत की थी। इसके तहत मंत्रालय के सभी कर्मचारी महीने की पहली तारीख को परिसर में एकत्रित होकर ‘वंदे मातरम’ गाते थे। देश में वंदे मातरम को लेकर कई बार बवाल हो चुका है। ऐसे में कमल नाथ सरकार का यह कदम फिर से नए बवाल को जन्म दे सकता है।