पिछले दो महीनों से मध्य प्रदेश के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी दावा कर रहा है कि उनके वृद्ध पिता का भोपाल में उनके सरकारी बंगले के अंदर इलाज चल रहा है। उन्होंने दावा किया है कि उनके पिता उपचार का जवाब दे रहे हैं, लेकिन अधिकारी ने सिवाय अपनी मां और भाई-बहन के अब तक किसी को भी उनसे मिलने नहीं दिया है।

इस कहानी में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कैडर अधिकारी राजेंद्र मिश्रा के 84 वर्षीय पिता को 14 जनवरी को एक प्राइवेट अस्पताल में डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था। उसी दिन अस्पताल के अधिकारियों ने उन्होंने मृत्यु प्रमाण पत्र भी सौंप दिया था। लेकिन 55 वर्षीय मिश्रा, जो एडीजीपी हैं इस बात को मानाने को तैयार नहीं। उन्होंने पहले ही राज्य मानवाधिकार आयोग द्वारा भेजे गए डॉक्टरों के एक दल का विरोध कर उन्हें वापस भेज दिया था। 1987 बैच के अधिकारी की वरिष्ठता को देखते हुए, पुलिस और सरकार भी कोई सख्त एक्शन नहीं ले रही है।मिश्रा ने बताया “एलोपैथी चिकित्सा से बस कुछ नहीं होता विज्ञान से परे भी कई चीजें हैं। मेरे पिता जीवित हैं। वह उपचाराधीन मरीज है। उन्होंने छह दशकों से अधिक समय तक योगाभ्यास किया है। वह योग-निद्रा में है। डॉक्टर उन्हें जगाने की कोशिश करें और कुछ गलत हो गया तो? क्या इस कृत्य को हत्या नहीं कहा जाएगा?”

मिश्रा ने इंडियन एक्सप्रेस को फोन पर बताया “अगर मेरे पिता मर गए थे, तो क्या शरीर अब तक विघटित नहीं हुआ होगा? आप एक मृत शरीर का इलाज नहीं कर सकते। आप एक घंटे के लिए मरी हुई छिपकली या चूहे के साथ नहीं रह सकते। मुझे यह समझ में नहीं आता कि बाहरी व्यक्ति एक निजी मामले में हस्तक्षेप करने की कोशिश क्यों कर रहे हैं। मेरे पिता का इलाज करना एक मौलिक अधिकार है। में किसी अपराध या भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं हूं।” 23 फरवरी को एलोपैथी और आयुर्वेद के छह डॉक्टरों की एक टीम उनके पिता कुलमणि मिश्रा का इलाज करने मिश्रा के बंगले पर पहुंची।लेकिन बंगले पर तैनात पुलिस ने टीम को अंदर जाने से मना कर दिया।
पिछले महीने, राजेंद्र मिश्रा की माँ शशिमणि ने इस मामले में किसी भी हस्तक्षेप के खिलाफ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की। उन्होंने मानवाधिकार आयोग को भी लिखा, जिसमें दावा किया गया था कि पैनल द्वारा उनके जीवन, सम्मान और स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है। अदालत ने राज्य सरकार और आयोग को नोटिस जारी किया लेकिन अभी तक कोई आदेश पारित नहीं किया है। इस बीच, कार्रवाई करने के लिए आयोग के आदेश के जवाब में, राज्य पुलिस के अभियोजन पक्ष ने कहा है कि वह अदालत के आदेश की प्रतीक्षा करेगा। अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में, उन्होंने आयोग को सूचित किया कि डॉक्टरों की टीम को मिश्रा के बंगले में प्रवेश करने नहीं दिया गया। लेकिन रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आयोग ने जिस धारा के तहत कार्रवाई की वह स्पष्ट नहीं थी। इसमें कहा गया है कि आयोग के आदेश में यह नहीं बताया गया है कि मिश्रा के घर से कौन से दस्तावेज जब्त किए जाने थे।

बंसल अस्पताल के प्रवक्ता लोकेश झा ने कहा “जहां 13 जनवरी को कुलमणि को भर्ती कराया गया था, मरीज की अगले दिन मौत हो गई थी। जिसके बाद उनके मृत शरीर को मृत्यु प्रमाण पत्र के साथ परिवार को सौंप दिया गया।”