भारत में आजादी के बाद से ही राज्यों की राजनीति दिलचस्प रही है। खासकर मध्य प्रदेश की राजनीति में तो ऐसे कई किस्से रहे हैं, जिनका जिक्र भारतीय राजनीति में होता रहा है। फिर चाहे वह राज्य के लगातार मुख्यमंत्री बदलने की बात हो या द्वारका प्रसाद मिश्र द्वारा राजमाता सिंधिया के अपमान के बाद संविद सरकार बनने की। संविदाकाल का एक ऐसा ही एक किस्सा कई बार राजनीति में गूंजता रहा है। यह किस्सा है एक सीएम का अपने मंत्री के रिश्वत लेने की बात मानने और इसके बावजूद उनका प्रस्ताव मंजूर कर लेने का।
क्या था पूरा किस्सा?: यह पूरा मामला संविदाकाल की सरकार का है, जब गोविंद नारायण सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। इस दौरान उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे। मध्य प्रदेश के इतिहास पर लिखी गई किताब राजनीतिनामा में दीपक तिवारी बताते हैं कि इस दौरान ट्रांसफर उद्योग जमकर फला-फूला, वहीं मंत्रियों ने भी बेपरवाह भ्रष्टाचार किया। एक बार सिंचाई मंत्री बृजलाल वर्मा ने लिफ्ट इरिगेशन के लिए पंप सेट खरीदने का प्रस्ताव रखा, जिसके लिए मुख्यमंत्री का अनुमोदन जरूरी था। ऐसा इसलिए क्योंकि खरीदी प्रक्रिया में स्थापित मापदंडों को बाईपास किया गया था।
बताया जाता है कि उस दौरान मुख्य सचिव नरोन्हा और सिंचाई सचिव एसबी लाल ने इसका विरोध किया। लेकिन जब फाइल मुख्यमंत्री के पास पहुंची, तो उन्होंने साफ लिखा, “मैं अपने मुख्य सचिव और सिंचाई सचिव की बात से सहमत हूं, क्योंकि यह प्रस्ताव अनैतिक है और इसे मंजूर नहीं किया जा सकता। लेकिन मैं अपने सिंचाई मंत्री की मजबूरी को समझ सकता हूं। चूंकि उन्होंने इस मामले में 20 हजार रुपए की मूर्खतापूर्ण रिश्वत चेक से ली है, इसलिए इस परिस्थिति में यह प्रस्ताव स्वीकार किया जाता है।”
मुख्य सचिव ने जताई आपत्ति, तो सीएम ने वापस ली मंजूरी: किताब में कहा गया है कि इस मंजूरी के विरोध में मुख्य सचिव नरोन्हा फिर से गोविंद नारायण सिंह के पास गए और इसे अनुचित करार दिया। इस पर सीएम ने नोटशीट पर टिप में लिखा- “मेरे मुख्य सचिव ने यह फाइल वापस भेज दी है और सलाह दी है कि ऐसा प्रस्ताव स्वीकृत करना उपयुक्त नहीं है। मैं उनसे सहमत हूं और प्रस्ताव अस्वीकृत करता हूं।”
तब नरोन्हा ने मुख्यमंत्री से अपनी पिछली टिप्पणी, जिसमें उन्होंने मंत्री के रिश्वत लेने का जिक्र किया था, उसे हटाने की बात कही। इस पर गोविंद नारायण सिंह ने इसे रिकॉर्ड में रखने की बात कही और बोले- “बृजलाल वर्मा मूर्ख हैं, उन्हें यह भी नहीं मालूम कि रिश्वत चेक से नहीं ली जाती।”